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Tuesday, 3 January 2017

ध्यान लगाने,आह्वान,आसन ग्रहण का गोरक्षनाथ जी मंतर

ध्यान लगाने,आह्वान,आसन ग्रहण का मंतर

https://shabarmantars.blogspot.in/2017/01/blog-post.html

सर्वप्रथम एकाग्र मन से गुरूजी का ध्यान करे | तत्पश्चात गोरक्षनाथ जी का ध्यान करे |

आसन ग्रहण करने का मंतर 

सतनमो आदेश गुरूजी  को आदेश |
ॐ सोहं का सकल पसारा ,
रख लेव धरती माता साथ हमारा |
हम योगी युगत का आया |
अक्षय योगी कुश का आसन लाया |
पिंड छेदकर पिंड बनाया |
अजर अमर कर नाथ करत सेवा |
श्रीनाथ जि को  आदेश |

अब ध्यान मंतर का स्मरण करे

 ध्यान मंतर

सात नमो आदेश गुरु गुंसाई को आदेश | ॐ गुरूजी |ॐ लाल तिलक  तीन लोचन ,निज तन सेहत भस्मन्ति |चाँद सूरज रत्नजड़ित अद्भुत कुंडल कानन में |सेली श्रृंगी अनहद नाड रूद्र मॉल कण्ठन में |बहल चन्दर लघु जटा विलसत ,कतई सेहत मृगछाले |बाघम्बर ,खाकम्बर, आसन ध्यान लगावे शून्ये नमः |युक्त की झोली मुक्त मेखला ,धीरज धुनि चेतन में |डमरू धारी त्रिशूलधारी युग युग बीते योग में |नाथ निरंजन जति गोरखनाथ ज्योत स्वरूप कहलावे |परम ज्योति आप विराजे गवरू शब्दु झालरी बाजे |मत्स्येन्द्र नाथ जी के पूता आं अवधूता शीश निमाउ चरणों में |श्री नाथ गुरु जी को आदेश  |


ध्यान मंतर के बाद बिल्वपत्र और फूल आदि चढाने की मान्यता है |
फूलो में भी लाल फूल की मान्यता अधिक है |


आह्वान मंतर
किसी भी कार्य को करने से पहले इष्ट देव् का आह्वान किया जाता है |
हम यहाँ गोरखनाथ जी  को इष्ट देव मानकर उनका आह्वान करने की विधि का वर्णन कर रहे है |


गोरखनाथ जी के आह्वान करने का मंत्र या गोरक्ष गायत्री

सात नमो आदेश | गुरूजी को आदेश | ॐ गुरूजी |अलख निरंजन कोण स्वरूपी बोलिये | अलख निरंजन ज्योत स्वरूपी बोलिये |ओमकरं शिव स्वरूपी बोलिये ,संख्या ने साधरूपी ,मध्यान्हे हंस रूपी ,हंस परमहंस दो अक्षर , गुरु तो गोरक्ष ,काया तो गायत्री ॐ ब्रह्मा ,शुन्य माता ,अविगत पिता ,अबही पंथ ,अचल  पदवी ,निरंजन गोत्र ,विहंगम जाति ,अशंख्य परिवार ,अनंत शाखा सूक्ष्मवेद ,आत्मज्ञानी ,ब्रह्मज्ञानी ,श्री ॐ गो गोरक्षनाथाय विद्यमहे शून्य पुत्राय धीमहि ,तन्नो गौरक्ष निरंजनः  प्रचोदयात |इतना गोरक्ष गायत्री  जाप सम्पूर्ण भया |श्री नाथ गुरु जी को आदेश | आदेश |आदेश |


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