Search This Blog

Showing posts with label gyrah rudra. Show all posts
Showing posts with label gyrah rudra. Show all posts

Friday, 20 January 2017

तेतीस कोटि के देवता ,33 types of god

तेतीस कोटि के देवता 



हिन्दू धर्म में तेतीस कोटि के देवताओ का वर्णन पाया जाता है | कोटि के सन्दर्भ में इसका अर्थ करोड़ से लिया जाता है , जबकि यहाँ इसका मतलब प्रकार से है अर्थात तेतीस प्रकार के देवता |अब उन तेतीस देवताओ में किन किन वर्णन पाया जाता है आइये देखते है -

11 रुद्र+12  आदित्य +8  वसु+2 अश्विनी कुमार

शिव के 11 रुद्र अवतार

11  रुद्र  इस प्रकार हैं-
1- कपाली       2- पिंगल             3- भीम            4-विरुपाक्ष      5- विलोहित
6- शास्ता        7- अजपाद          8- अहिर्बुधन्य    9- शंभु           10- चण्ड              11- भव 


 शिव पुराण के अनुसार11 रुद्र अवतार हैं। इनकी उत्पत्ति की कथा इस प्रकार है-
एक बार देवताओं और दानवों में लड़ाई छिड़ गई। इसमें दानव जीत गए और उन्होंने देवताओं को स्वर्ग से बाहर निकाल दिया। सभी देवता बड़े दु:खी मन से अपने पिता कश्यप मुनि के पास गए। उन्होंने पिता को अपने दु:ख का कारण बताया। कश्यप मुनि परम शिवभक्त थे। उन्होंने अपने पुत्रों को आश्वासन दिया और काशी जाकर भगवान शिव की पूजा-अर्चना शुरु कर दी। उनकी सच्ची भक्ति देखकर भगवान भोलेनाथ प्रसन्न हुए और दर्शन देकर वर मांगने को कहा।
कश्यप मुनि ने देवताओं की भलाई के लिए उनके यहां पुत्र रूप में आने का वरदान मांगा। शिव भगवान ने कश्यप को वर दिया और वे उनकी पत्नी सुरभि के गर्भ से ग्यारह रुपों में प्रकट हुए। यही ग्यारह रुद्र कहलाए। ये देवताओं के दु:ख को दूर करने के लिए प्रकट हुए थे इसीलिए इन्होंने देवताओं को पुन: स्वर्ग का राज दिलाया। धर्म शास्त्रों के अनुसार यह ग्यारह रुद्र सदैव देवताओं की रक्षा के लिए स्वर्ग में ही रहते हैं।



12  आदित्य -
 ऋषि कश्यप की पत्नी अदिति से जन्मे पुत्रों को आदित्य कहा गया है। वेदों में जहां अदिति के पुत्रों को आदित्य कहा गया है, वहीं सूर्य को भी आदित्य कहा गया है। इन्हीं  पर वर्ष के 12 मास नियु‍क्त हैं। 

12 आदित्य  के अलग अलग नाम :
1- अंशुमान       2- अर्यमन       3- इन्द्र             4- त्वष्टा
5- धातु             6- पर्जन्य       7- पूषा              8- भग
9-  मित्र            10-वरुण          11- विवस्वान   12- विष्णु।


कई जगह इनके नाम हैं :
 1- अंश      2- अर्यमा     3- शुक्र             4-     त्वष्टा
5- धाता           6- पर्जन्य       7- पूषा              8-       भग
9-  मित्र            10-   वरुण          11-       विवस्वान   12-     विष्णु।


8  वसु -

1- द्यौ           2- ध्रुव          3- सोम           4- अयज
5- अनल        6- अनिल       7- प्रत्यूष        8- प्रभास

आठों का जन्म दक्षकन्या और धर्म की पत्नी वसु में हुआ था।
शिवपुराण  में इनके नाम द्यौ , ध्रुव, सोम, अयज , अनल, अनिल, प्रत्यूष तथा प्रभास हैं।
 स्कंद, विष्णु तथा हरिवंश पुराणों में इनके नाम घर, ध्रुव, सोम, अप्, अनल, अनिल, प्रत्यूष तथा प्रभास हैं। भागवत में इनके नाम क्रमश: द्रोण, प्राण, ध्रुव, अर्क, अग्नि, दोष, वसु और विभावसु हैं।


वसुओं के बारे में प्रचलित है के उनमे से एक ने वशिष्ठ मुनि की गाय चुरा ली | जब मुनि  को इसी खबर लगी तो उन्होंने सभी वसुओं को मनुष्य जन्म भोगने का शाप दे दिया | वास्तविकता का पता चलने तथा कुमारो के क्षमा मांगने पर पर उनमे से सात की मनुष्य जन्म में आयु एक एक साल तक भोगने का शाप दिया | बाकि बचे एक को सम्पूर्ण मानव जीवन भोगने का शाप दिया | उस वसु का मानव जीवन में महाभारत में राजा शांतनु की पत्नी गंगा के गर्भ से हुआ | आठो का जनम गंगा के गर्भ से हुआ था ,लेकिन वचन में बंधे होने के कारण शांतनु गंगा को पुत्रो को नदी में प्रवाहित करने से  रोक नही सके | सात पुत्रो के गंगा में प्रवाहित करने के बाद गंगा जी को शांतनु ने आठवे पुत्र के समय रोक दिया | और अपना वचन तोड़ दिया | वह पुत्र देवव्रत या भीष्म के नाम से प्रसिद्ध है |


2 अश्विनी कुमार -

 नासत्य,  द्स्त्र  

 अश्विनी देव से उत्पन्न होने के कारण इनका नाम अश्‍विनी कुमार रखा गया  | ये मूल रूप से चिकित्सक थे।   5 पांडवों में नकुल और सहदेव इन दोनों के पुत्र हैं।  कुंती ने माद्री को जो गुप्त मंत्र दिया था उससे माद्री ने इन दो अश्‍विनी कुमारों का ही आह्वान किया था।  दोनों कुमारों ने राजा शर्याति की पुत्री सुकन्या के पतिव्रत से प्रसन्न होकर महर्षि च्यवन का इन्होंने वृद्धावस्था में ही कायाकल्प कर उन्हें चिर-यौवन प्रदान किया था।  च्यवन ने इन्द्र से इनके लिए संस्तुति कर इन्हें यज्ञ भाग दिलाया था।