नाथ साधुओ का मुख्य इष्ट गुरु गोरख नाथ या गोरक्ष नाथ जी को माना गया है |
नाथ साधुओ के बारे मे जानने के साधक इच्छुकों के लिए इस पोस्ट को लिख रहा हूँ |
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अब मै अपनी पोस्ट की तरफ आता हूं | साधु या साधक को सुबह चौथे पहर से पहले उठकर शौच आदि से मुक्त होकर अपने शरीर के उपयुक्त आसन लगाते है , जिनमे से प्रमुख पद्मासन ,सिद्धासन ,गोरक्षासन इत्यादि है | उपयुक्त आसन लगाकर सीधा बैठ जाये |अपनी आँखों का ध्यान अपनी भोंहो के बीच भ्रूमध्य में स्थित करे | फिर सत गुरु जी समरण करे |फिर गुरु मंत्र का जाप करे |इसके बाद गुरु गोरख नाथ जी का ध्यान करे | या गोरख नाथ जी मंत्र बीज मंत्र का ध्यान करे | या गुरु गोरख नाथ जी के बारह नमो का सुमिरन करे |
जो की इस प्रकार है -
गोरख नाथ जी के बारह नामो का जप या द्वादश जाप-
सत नमो आदेश | गुरूजी को आदेश | ॐ गुरूजी |
श्री शम्भू जति गुरु गोरक्ष नाथ जी के द्वादश नाम तै कोण कोण बोलिये |
ॐ गुरूजी प्रथमे निरंजन दास ,द्वितीय श्री सुधबुधनाथ , तृतीय श्री कलेश्वर नाथ ,
चतुर्थ श्री सिद्ध चौरंगीनाथ जी ,पांचवे श्री लाल ग्वाल नाथ जी ,छठे श्री विमल नाथ जी ,
सातवे श्री सर्वाङ्गनाथ जी ,आठवे श्री सत्यनाथ जी ,नवमे श्री गोपालनाथ जी ,
दसमे श्री क्षेत्रनाथ जी ,एकादशे श्री भूचर नाथ जी ,द्वादशे श्री गोरक्ष नाथ जी |
ॐ नमो नमो गुरुदेव को .नमो नमो सुखधाम |
नामलिये से नर उबरे ,कोटि कोटि प्रणाम |
इति श्री शम्भुजती गोरक्षनाथ जी के द्वादश नाम पठन्ते ,
हरन्ते पाप ,मोक्ष मुक्ति पदे पदे |
नादमुद्रा ज्योति ज्वाला पिंड ज्ञान प्रकाशते |
श्री नाथ गुरूजी को आदेश | आदेश | आदेश |
गोरख नाथ जी का बीज मंत्र ये ह -
ॐ शिव गोरक्ष योगी
इसके बाद साधु नवनाथ स्वरुप का जाप करते है |
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नवनाथ स्वरूप का ध्यान करने के बाद धरती गायत्री का जाप किया जाता है |
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यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद साधु आपन आसन खोलता है |
और धरती माता को नमस्कार करता है |
फिर जल मंत्र का ध्यान करके हाथ पैर धोये जाते है|
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इसके बाद पानी पिया जा सकता है |
फिर गणेश मंत्र का ध्यान किया जाता है |
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इसके पश्चात योग क्रियाये की जातीं है |
योग साधना के बाद स्नान किया जाता है |
स्नान मंत्र का ध्यान किया जाता है |
इसके साथ साथ अलील गायत्री का भी पाठ किया जाता है |
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फिर शिव गायत्री का पाठ किया जाता है |
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इसके बाद इष्ट देवो को जल का तर्पण किया जाता है |
जल तर्पण की क्रिया के बाद धुनें पर नमस्कार की जातीं है |
फिर भस्म गायत्री मंत्र से भभूत रमाई जातीं है |
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इसके बाद भगवा बाणा पहना जाता है |
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फिर नाद जनेऊ मंत्र का ध्यान करके जनेऊ धारण किया जाता है |
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इसके बाद गोरक्ष गायत्री का पाठ किया जाता है | तत्पश्चात धुनें पर पूजित इष्टदेव की आदेश उठाई जातीं है |सभी विराजमान साधुओ को भी आदेश उठाई जातीं है |इसके बाद सभी नित्यकर्म के कार्य किये जाते है |