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Thursday, 29 December 2016

भस्म गायत्री,भगवा मंत्र,नाद जनेऊ मंत्र,गोरख गायत्री

fore more info visit https://shabarmantars.blogspot.in/2016/12/blog-post_29.htmlभस्म गायत्री

सत नमो आदेश | गुरूजी को आदेश | ॐ गुरूजी |
भभूत माता ,भभूत पिता ,भभूत तरण तारणी|
मानुषते देवता करे ,भभूत कष्ट निवार्णी |
सो भष्मती माई ,जहा पाई तहा रमाई|
आदके जोगी अनाद की भभूत सत के जोगी धर्म के पूत  |
अमृत झरे धरती फरे ,  सो फल माता गायत्री  चरै |
गायत्री माता गोवरी करे ,सूरज मुख सुखी अगन मुख जरी |
अष्ट टंक भभूत नाव टंक पाणी ,ईश्वर आणि पारवती छाणि |
सो भस्मति हस्तक ले मस्तक चढ़ी |
चढ़ी भभूत दिल हुआ पाक ,अलख निरंजन आपो आप |
इति भस्म गायत्री सम्पूर्ण भया|
नाथजी गुरु जी को आदेश | आदेश | आदेश |


भस्म गायत्री से अलख जगाने के बाद भगवा बाणा पहना जाता है |
इसके लिए भगवा बाणा मंत्र या गोरक्ष गायत्री का जप किया जाता है |

भगवा धारण करने का मंत्र

सात नमो आदेश | गुरूजी को आदेश |
ॐ गुरूजी ,ॐ सोहँ धूंधूकारा शिव शिव शक्ति ने मिल किया पसारा |
नख से चीर बहग बनाया ,रक्त रूप से भगवा आया |
अलख पुरुष ने धारण किया ,तब पीछे सिद्धो को दिया |
आवो सिद्धो धरो ध्यान ,भगवा मंत्र भया प्रणाम |
इतना भगवा मंत्र सम्पूर्ण भया |
आदेश आदेश सिद्ध गुरूजी को आदेश | आदेश आदेश |


इसके बाद नाद जनेऊ मंत्र का ध्यान करके जनेऊ धारण किया जाता है |

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नाद जनेऊ मंत्र

सत नमो आदेश गुरु जी को आदेश | ॐ गुरूजी |
आदि से शुन्य ,शुन्य में ओंकार ,आओ सिद्धो नाद बाँध का करो विचार |
नादे चन्द्रमा ,नादे सूर्य नाद रहा घट पिंड भरपूर |
नाद काया का पेखना ,बिन्द काया की राह |
नादे बिन्दे योगी तीनो एक स्वभाव |
बाजै नाद  भई प्रतीत, आये श्री शम्भुजती गुरु गोरखनाथ अतीत |
नाद बाजै काल भागै ,ज्ञान टोपी गोरक्ष साजै |
डंकनी शङ्कनि टिल्ले बाल गुंथाई ,बाड़े घाटे टल्ल जागै |
सुन सकेसर पीर पटेश्वर नगर कोट महामाई टिल्ला शिवपुरी का स्थान
चार युग में मान मूल चक्र मूल थान |
पढ़ मंत्र योगी बजावै नाद ,छत्तीस भोजन अमृत कर पावै |
बिना मंतर योगी नाद बजावै ,तीन लोक मैं कही ठार नहीं पावै |
जो जाने नाद बिन्द का भेद ,आप ही करता ,आपही देव |
संध्या शिवपुरी का बेला अनंत कोटि सिद्धो का युग युग मेला |
इतना नाद जनेऊ मंत्र सम्पूर्ण भया |
श्री नाथ जी गुरूजी को  आदेश | आदेश | आदेश |


नाद जनेऊ मंत्र के बाद मृगछाल ,रुद्राक्ष ,माला, बीज माला या कोई अन्य माला धारण की जाती है |
इसके पश्चात् गोरक्ष गायत्री का स्मरण  किया जाता है |

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गोरख गायत्री 

सात नमो आदेश | गुरूजी को आदेश | ॐ गुरूजी |ओउम कारे शिव रूपी संध्या ने साध रूपी ,मध्यान्हे हंस रूपी ,हंस परमहंस द्वी अक्षर ,गुरु तो गोरक्ष ,काया तो गायत्री ,ॐ तो ब्रह्म ,सोऽहं तो शक्ति ,शुन्य तो माता ,अवगति तो पिता ,अभय पंथ अचल पदवी निरंजन गोत्र अलील वर्ण विहंगम जाती ,असंख परवर अनंत शाखा सूक्ष्म भेद , आत्म ज्ञानी ब्रह्मज्ञानी .श्री ॐ गोरक्ष नाथाय विद्यहे शून्य पुत्राय धी महि तन्नो गौरक्ष प्रचोदयात ,इतना गोरक्ष गायत्री पठ्यन्ते हारते पाप श्रूयते सिद्धि निश्चय |जपन्ते परम ज्ञान अमृतानंद मनुष्यते |नाथ जी गुरु जी को आदेश | आदेश | आदेश |ॐ ह्रीम श्रीं हूँ फट स्वाहाः |ॐ ह्रीम श्री गो गोरक्ष हूं फट स्वाहाः |ॐ ह्रीम श्री गो गोरक्ष निरंजनात्मने  हूं फट स्वाहाः |

इस प्रकिया के बाद महात्मा धुनें पर सभी को आदेश उठाते है |
फिर अपने कर्म की शुरुआत करते है |

fore more info visit https://shabarmantars.blogspot.in/2016/12/blog-post_29.htmlगोरक्ष जी की साधना के लिए उपयुक्त दिन 

गोरख नाथ जी की  पूजा केलिए श्रावण मास  का सोमवार उपयुक्त माना गया है |सोमवार ,बृहस्पतिवार  का दिन भी शुभ माना गया है |भाद्रपद ,आश्विन और कार्तिक मास की पूर्णिमा को भी शुभ माना गया है |वैशाख मास की एकादशी जो वरुथिनी एकादशी के नाम से भी जानी जाती है ,वह भी शुभ मानी जाती है |

Tuesday, 20 December 2016

गोरखनाथ जी स्नान मंत्र ,अलील गायत्री ,शिव गायत्री


गोरखनाथ जी को कलियुग में जागृत दैवीय शक्ति माना जाता है | गोरख नाथ जी योग व तंत्र मंत्र से सम्बंधित देवताओ व् साधुओ की श्रेणी में उच्च स्थान प्राप्त है |वे भगवान शंकर के अंश है ,इसलिए उनमे शक्ति का भंडार है | उपासना में मंत्र जप एक प्रमुख तरीका है जो सर्व जन उपयोग करता है | हम यहाँ विभिन्न स्त्रोतो से एकत्रित सूचनाओ का सम्मिश्रण करके आप तक जानकारी पंहुचाने का प्रयास कर रहे है ,आशा है आप इस कार्य में अपना सहयोग करेंगे | इस सम्बन्ध में किसी भी प्रकार की सहायता के लिए आप संपर्क कर सकते है या किसी प्रकार की सुचना हम तक पंहुचाना चाहते तो सहर्ष स्वागत है | अब हम अपने  ब्लॉग के मुख्य वर्णित लेख पर आते है :-

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  साधक को किसी भी देवी देवता की उपासना करने के लिए मन को संतुष्ट करना अति आवश्यक है |,यदि मन में श्रद्धा नहीं होगी तो साधक अपने लक्ष्य में सफल नहीं हो पायेगा | उपासना के लिए साधक को सुबह चौथे पहर में अपने शरीर के अनुकूल आसान बनाकर बैठ जाये | ,आसान में सरीर को सीधा रखना आवश्यक है |

नहाने का मंत्र ( स्नान मंत्र )

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ॐ हर हर गंगे हर नर्मदे हर जटा शंकर |
काशी विश्वनाथ गंगे ,गंगा गोदावरी तीर्थ बडे प्रयाग |
छालाबड़ी समुद्र की पाप कटे हरिद्वार |
ॐ गंगेय ॐ यमुने चैव गोदावरी सरस्वती |
नर्मेदेसिन्धु कावेरी ,जल स्नान च करू|
सत्यशील दोय स्नान तृतीय गुरु वाचकं |
चतुर्थ क्षमा स्नान , पंचम दया स्नान |
ये पञ्च स्नान निर्मल नित प्रति करत गोरषबाला |
जो जानो ध्यान का भेद आपही कर्ता आपही देव ||



ये स्नान के दौरान बोले जाना वाला मंतर है,यह मंतर पढ़कर जल तर्पण करे |
इसके साथ साथ अलील  गायत्री तथा शिव गायत्री का भी पाठ किया जाता है |

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अलील गायत्री



सात नमो आदेश | गुरु जी को आदेश | ॐ गुरु जी |
 तन  मंजन  जल देवता , मन मंजन गुरु ज्ञान |
हाथ मंजन को धरती , अलख पुरुष का ध्यान |
जागो जल थल जागो अलील देव |
जोगी आया करम कूचा वसेडार्स पर्स की टेव |
अलील गायत्री सबसे न्यारी ,माता कुवारी पिता बृह्मचारी |
पीया अलील बांध बंध ,बल जोगी तिरहे कंध |
उलटंत अलील पलटंत काया जाती गुरु गोरखनाथ चलाया |
सेत पुरुष अलील निधन ,अविचल आसान निहचल ध्यान |
आद अलील अनाद अलील तारण अलील तरण अलील |
अलीलाय विद्यमहे माह अलीलाय धीमहि तन्नो अलील प्रचोदयात |
इति अलील गायत्री सम्पूर्ण  भया| अनंत कोटि सिद्धो में बैठकर श्री नाथजी गुरु ने कहाई |
श्री नाथ जी गुरु को आदेश | आदेश | आदेश |


इसके बाद भी जल तर्पण  करे |


शिव गायत्री

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Shiv in rain

सत नमो आदेश | आदेश गुरूजी को आदेश |
 ॐ  गुरु जी जल का दान ,जल का स्नान ,जल में ऊना ब्रह्मज्ञान |
 जल ही आये जल ही जाये ,जल ही जल में रह्या समय |
जल ही ऊँचा जल ही  नीचा ,उण पाणी सौ लीजे सींचा |
भुख्याकू  कु अन्न  प्यासे को पाणी ,जहाँ आये गुरु गोरख निर्वाणी |
 पीना पाणी उत्तम जात , जैसा दीवा वैसी बात |
जल में ब्रह्मा जल में शिव जल में शक्ति जल में जीव |
जल में धरती जल में आकाश जल में ज्योति जल में प्रकाश |
जल में निरंजन अवगति रूप ,जगी ज्योत अटल अनूप |
जहा से अपनी शिव गायत्री | तार तार माता शिव गायत्री |
अघोर पिंड पंडता रख ब्रह्मा विष्णु महेश्वर साख |
जपो शिव गायत्री ,सरे प्राणी पावै मोक्ष द्वार |
जोगी जपै जोप पैट ध्यावै राजा जपै राजपद पावै|
 गृही जपै भंडार भर्ती धुधपूत सत धर्म फलती |
जो जग फल मांगू फल होय ,शिव गायत्री माता सोय |
इतना शिव गायत्री मंत्र सम्पूर्ण भया |
गंगा गोदावरी त्र्यम्बक क्षेत्र कौलागढ़ पर्वत अनुपान शिला कल्पवृक्ष |
तहा गादी पर बैठे श्री शम्भू जति गुरु गोरखनाथ ने नौ नाथ चौरासी सिद्ध अनंत कोट सिद्धो को कथा  पढ़ कर सुनाया |
सिद्ध गुरुवरों को आदेश | आदेश | आदेश |





Tuesday, 8 November 2016

नाथ संप्रदाय, nath samparday

नव नाथ,नाथ सम्प्रदाय




नाथ सम्प्रदाय के सबसे आदि में नौ मूल नाथ हुये हैं । जैसे नवनाथ के स्रम्बन्ध में काफी मतभेद है । किन्तु वर्तमान नाथ सम्प्रदाय के क्रमश: ये है


( 1 ) आदिनाथ . ॐ कार शिव, ज्योति रूप


(2) उदयनाथ पार्वती, पृथ्वी रूप


(3 ) सत्यनाथ ब्रम्हा, जल रूप


(4) संतोष नाथ विष्णु, तेज रूप


( 5 ) अचल (अचंभे) नाथ शेषनाग, पृथ्वी भार आरी


(6 ) क्रंथडिनाथ … गणपति, आकाश रूप


( 7 ) चौरंगीनाथ चन्द्रमा, वनस्पति रूप


( 8 ) मत्स्येन्द्रनाथ (नाश … माया रूप, करुणामय


( 8) गोरक्षनाथ अयोनिशंकर त्रिनेत्र, अलक्ष्य रूप






नवनाथ स्वरूप


सत नमो आदेश ,गुरु जी को आदेश ,
ॐ गुरु जी ॐ कार आदिनाथ ॐ कार स्वरूप बोलिये उदयनाथ पार्वती स्वरुप बोलिये
,सत्यनाथ ब्र्हमाजी स्वरूप बोलिये ,संतोषनाथ विष्णुजी खडग खांडा तेज स्वरुप बोलिये
अचल अचम्भेनाथ आकाश स्वरुप बोलिये ,गजेबलि गजकंथडनाथ गणेशजी गज हस्ती स्वरुप बोलिये
,ज्ञानपरखी सिद्धचौरंगी नाथ अठारह भर वनस्पति स्वरुप बोलिये ,
मायारूपी दादा मत्स्येन्द्र्नाथ माया स्वरूपं बोलिये ,
घटे पिंडे नव निरंतरे सम्पूर्ण रक्षा करंते श्री शम्भूजतो गुरु गोरख नाथ स्वरुप बोलिये
,इतना नो नाथ स्वरुप मंत्र सम्पूर्ण भया अनंत कोट सिद्धो में बैठकर गोरखनाथ जी ने कहाया नाथ जी गुरूजी आदेश \





इसके बाद योगेस्वर ने धरत्री गायत्री का जाप करके अपने नासिक की बांया स्वर चले तो प्रथम बांया पैर

,या दांया चले तो दांया पैर अथवा दोनों कहले तो दोनों पैर धरती रखे और नमस्कार करे






धरत्री गायत्री


सात नमो आदेश गुरूजी को आदेश ॐ गुरूजी | आद अलील अनाद उपाया सत्यकी धरती जुहारलो काया
,पहले जल ,जल पर कमल ,कमल पर मच्छ,मच्छ पर करम ,करम पर वासुकि ,वासुकि पर धौल बैल ,
धौल बैल पर सींग,सींग पर राइ ,राइ पर श्री नाथ जी ने नवखंड पृथ्वी ठहराई |
प्रथम धरत्री द्वितीय विशंभरा तीसरा मेरु मेदिनी चतुर्थे चतुर्भुजी पंचमे कृतिका ,
षष्टमे ब्रह्मचण्डी सप्तमी शिवकुमारी अष्टमे बल बज्रजोगिनि नवमे नवदुर्गा दसमे सिंहभवानी
एकादशे मृतिका नाक द्वादशे वरदायनी | माता धरत्री पिता आकाश ,पिंड प्राण का तो पर वास |
तो पर टेकु दोनों पाई आगमदे मेंलादु पाई | धरती माता तू सबसे बड़ी तुझ से बड़ा न कोई

जो पग टेकु तोपर मोपर कृपा सुहाय | धरती द्वादश नाम पठै गुणहै मनमे धरे |
जोगी का सब काम सिद्ध होय वाचा फुरे | इतना धरत्री गायत्री द्वादश नाम जाप सम्पूर्ण भया |
अनंत कोटि सिद्धों में श्री नाथ जी ने कहा गुरु जी को आदेश दादा मत्स्येन्द्र नाथ की पादुका को नमस्ते नमः |
औषधि पूर्ति पात्र दधाना सुमुखाम्बुजा सर्व ससयालया शुभ्रा भूदेवी शरण भजे |
समुद्रवसने देवी ,पर्वत स्तनमंडले विष्णु पत्नी नमस्तुभ्यम पाद स्पर्श क्षमस्व में ||





पांव उठाते समय निचे लिखा मंत्र पढ़े





सात नमो आदेश | गुरु जी को आदेश | ॐ गुरु जी | जिस दिशा को सुर वहत चलै, अवर चलन को चित्तू | सोई पग आगै धरो वेद कहे यहु हित्तु || चारि मंगला रवि प्रियने शशि सूर | गोरख जोगी भाखिया यही जीवन का सूर ||





यह प्रक्रिया होने के बाद धरती पर पांव रखे तथा धरती माता को नमस्कार करे | फिर निचे लिखे मन्त्र से हाथ पांव धोये तथा पानी पीये |



जल मंत्र


सत नमो आदेश | गुरूजी को आदेश | ॐ गुरु जी |
ॐ अलख निरंजन तेरी माया | जल बिम्बाय विदमहे निल पुरुषाय धी मही तन्नो अलील प्रचोदयात \
नाथ जी गुरु जी को आदेश |





अब गणेश मंत्र से काया शुद्ध करे

गणेश मंत्र


सत नमो आदेश | गुरूजी को आदेश | ॐ गुरु जी |ॐ मूल चक्र को करलो पाक परसो परम ज्योति प्रकाश |
गणपत स्वामी सन्मुख रहे , शुद्धि बुद्धि निर्मली गहे | गम की छोड़ अगम की कहे |
सतगुरु शब्द भेद पर रहे | ज्ञान गोष्ठी की काया थरपी नसतगुरु दियो लखाय |
मूल महल में पिंडक जड़िया गगन गर्जियों जय |
ॐ गणेशाय विद्यहे महागणपतये तन्नो एक दन्त प्रचोदयात |
इति गणेश गायत्री मंत्र संपूर्ण भया अनंत कोटि सिद्धों में बैठकर गुरु गोरखनाथ जी सुनाया |
नाथ गुरु जी को आदेश