यहाँ दी गयी जानकारी सिर्फ सूचनार्थ व् शिक्षा के लिए है , लेखक किसी भी कथन का समर्थन नही करता |
किसी भी स्थिति के लिए लेखक जिम्मेदार नही होगा | कृपया अपने विवेक से काम ले |वशीकरण ,बीमारी के लिए,शक्ति के लिए,साधुओ के लिए ,ज्ञान के लिए ,इच्छापूर्ति इत्यादि मंत्रो का संग्रह |
सत नमो आदेश | गुरूजी को आदेश | ॐ गुरूजी | भभूत माता ,भभूत पिता ,भभूत तरण तारणी| मानुषते देवता करे ,भभूत कष्ट निवार्णी | सो भष्मती माई ,जहा पाई तहा रमाई| आदके जोगी अनाद की भभूत सत के जोगी धर्म के पूत | अमृत झरे धरती फरे , सो फल माता गायत्री चरै | गायत्री माता गोवरी करे ,सूरज मुख सुखी अगन मुख जरी | अष्ट टंक भभूत नाव टंक पाणी ,ईश्वर आणि पारवती छाणि | सो भस्मति हस्तक ले मस्तक चढ़ी | चढ़ी भभूत दिल हुआ पाक ,अलख निरंजन आपो आप | इति भस्म गायत्री सम्पूर्ण भया| नाथजी गुरु जी को आदेश | आदेश | आदेश |
भस्म गायत्री से अलख जगाने के बाद भगवा बाणा पहना जाता है | इसके लिए भगवा बाणा मंत्र या गोरक्ष गायत्री का जप किया जाता है |
भगवा धारण करने का मंत्र
सात नमो आदेश | गुरूजी को आदेश | ॐ गुरूजी ,ॐ सोहँ धूंधूकारा शिव शिव शक्ति ने मिल किया पसारा | नख से चीर बहग बनाया ,रक्त रूप से भगवा आया | अलख पुरुष ने धारण किया ,तब पीछे सिद्धो को दिया | आवो सिद्धो धरो ध्यान ,भगवा मंत्र भया प्रणाम | इतना भगवा मंत्र सम्पूर्ण भया | आदेश आदेश सिद्ध गुरूजी को आदेश | आदेश आदेश |
इसके बाद नाद जनेऊ मंत्र का ध्यान करके जनेऊ धारण किया जाता है |
नाद जनेऊ मंत्र
सत नमो आदेश गुरु जी को आदेश | ॐ गुरूजी | आदि से शुन्य ,शुन्य में ओंकार ,आओ सिद्धो नाद बाँध का करो विचार | नादे चन्द्रमा ,नादे सूर्य नाद रहा घट पिंड भरपूर | नाद काया का पेखना ,बिन्द काया की राह | नादे बिन्दे योगी तीनो एक स्वभाव | बाजै नाद भई प्रतीत, आये श्री शम्भुजती गुरु गोरखनाथ अतीत | नाद बाजै काल भागै ,ज्ञान टोपी गोरक्ष साजै | डंकनी शङ्कनि टिल्ले बाल गुंथाई ,बाड़े घाटे टल्ल जागै | सुन सकेसर पीर पटेश्वर नगर कोट महामाई टिल्ला शिवपुरी का स्थान चार युग में मान मूल चक्र मूल थान | पढ़ मंत्र योगी बजावै नाद ,छत्तीस भोजन अमृत कर पावै | बिना मंतर योगी नाद बजावै ,तीन लोक मैं कही ठार नहीं पावै | जो जाने नाद बिन्द का भेद ,आप ही करता ,आपही देव | संध्या शिवपुरी का बेला अनंत कोटि सिद्धो का युग युग मेला | इतना नाद जनेऊ मंत्र सम्पूर्ण भया | श्री नाथ जी गुरूजी को आदेश | आदेश | आदेश |
नाद जनेऊ मंत्र के बाद मृगछाल ,रुद्राक्ष ,माला, बीज माला या कोई अन्य माला धारण की जाती है | इसके पश्चात् गोरक्ष गायत्री का स्मरण किया जाता है |
गोरख गायत्री
सात नमो आदेश | गुरूजी को आदेश | ॐ गुरूजी |ओउम कारे शिव रूपी संध्या ने साध रूपी ,मध्यान्हे हंस रूपी ,हंस परमहंस द्वी अक्षर ,गुरु तो गोरक्ष ,काया तो गायत्री ,ॐ तो ब्रह्म ,सोऽहं तो शक्ति ,शुन्य तो माता ,अवगति तो पिता ,अभय पंथ अचल पदवी निरंजन गोत्र अलील वर्ण विहंगम जाती ,असंख परवर अनंत शाखा सूक्ष्म भेद , आत्म ज्ञानी ब्रह्मज्ञानी .श्री ॐ गोरक्ष नाथाय विद्यहे शून्य पुत्राय धी महि तन्नो गौरक्ष प्रचोदयात ,इतना गोरक्ष गायत्री पठ्यन्ते हारते पाप श्रूयते सिद्धि निश्चय |जपन्ते परम ज्ञान अमृतानंद मनुष्यते |नाथ जी गुरु जी को आदेश | आदेश | आदेश |ॐ ह्रीम श्रीं हूँ फट स्वाहाः |ॐ ह्रीम श्री गो गोरक्ष हूं फट स्वाहाः |ॐ ह्रीम श्री गो गोरक्ष निरंजनात्मने हूं फट स्वाहाः |
इस प्रकिया के बाद महात्मा धुनें पर सभी को आदेश उठाते है | फिर अपने कर्म की शुरुआत करते है |
गोरक्ष जी की साधना के लिए उपयुक्त दिन
गोरख नाथ जी की पूजा केलिए श्रावण मास का सोमवार उपयुक्त माना गया है |सोमवार ,बृहस्पतिवार का दिन भी शुभ माना गया है |भाद्रपद ,आश्विन और कार्तिक मास की पूर्णिमा को भी शुभ माना गया है |वैशाख मास की एकादशी जो वरुथिनी एकादशी के नाम से भी जानी जाती है ,वह भी शुभ मानी जाती है |
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