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Monday 10 April 2017

वशीकरण मंत्र


भैरव वशीकरण मन्त्र
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१॰ “ॐनमो रुद्राय, कपिलाय, भैरवाय, त्रिलोक-नाथाय, ॐ ह्रीं फट् स्वाहा।”
विधिः- -: सर्व-प्रथम किसी रविवार  को दीपक, गुग्गुल, धूप सहित उपर्युक्त मन्त्र का पन्द्रह हजार जप कर उसे सिद्ध करे। फिर आवश्यकतानुसार इस मन्त्र का १०८, 108 बार जप कर एक लौंग को अभिमन्त्रित लौंग को, साध्य को खिलाए
३॰ “ॐ भ्रां भ्रां भूँ भैरवाय स्वाहा। ॐ भं भं भं अमुक-मोहनाय स्वाहा।”
विधिः:- उक्त मन्त्र को सात बार पढ़कर पीपल के पत्ते को अभिमन्त्रित करे। फिर मन्त्र को उस पत्ते पर लिखकर, जिसका वशीकरण करना हो, घर के पिछवाड़े गाड़ दे। या उसके घर में फेंक देवे। यही क्रिया ‘फुरहठ’ या ‘छितवन’ के पत्ते द्वारा भी हो सकती है।


मंत्र महायोग की शक्तिशाली दुनिया मे मंत्र की वो शक्ति अनुभव कर सकते है जिस से टूटता हुआ घर,दिल व समाज ये सब बच सकते है
इस मंत्र के चमत्‍कार से घर मे सुख और आनंद हो जाता है और आनंद की दात्री होती है घर की स्त्री अर्थात यदि घर मे पत्नी कलह करती हो या बार बार मायके जा कर बैठती हो या तलाक की बात करती हो या फिर पति को पत्नी अपेक्षित सहयोग ना मिलता हो , इस मंत्र का प्रयोग आवश्याही आपके लिये सफल सीध होगा।
मंत्र
मोहिनी माता भूत पिता भूत सिर बेताल उढ़ ए काली.............को जा लाग
एसी जाके लाग ..........को लग जाये हमारी मुहबत की आग
न खड़े सुख ना लेटे सुख न सोते सुख
सिन्दूर चढ़ाऔं मंगलवार कभी ना छोड़े हमारा ख्याल।
जब तक ना देखे हमारा मुख काया तड़प तड़प मर जाये
चलो मंत्र फुरो वाचा दिखाओ रे शब्द अपने गुरू के इलम का तमाशा
खाली जगह पर उस स्त्री का नाम ले जिसको आप वश मे करना चाहते हैं
यह मंत्र केवल शादी शुदा लोगो को ही लाभ देता है।




मां दुर्गा के मंत्र



मां दुर्गा

सामूहिक कल्याण के लिए मां दुर्गा की वंदना इस मंत्र के द्वारा करना चाहिए-

देव्या यया ततमिदं जग्दात्मशक्त्या निश्शेषदेवगणशक्तिसमूहमूर्त्या |तामम्बिकामखिलदेव महर्षिपूज्यां भक्त्या नताः स्म विदधातु शुभानि सा नः ||

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इस मंत्र के द्वारा विश्व के अशुभ तथा भय का विनाश करने के लिए मां दुर्गा की स्तुति करना चाहिए-

यस्याः प्रभावमतुलं भगवाननन्तो ब्रह्मा हरश्च न हि वक्तमलं बलं च |
सा चण्डिकाखिलजगत्परिपालनाय नाशाय चाशुभभयस्य मतिं करोतु ||

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अपने पापों को मिटाने के लिये इस मन्त्र के द्वारा मां दुर्गा की अराधना करना चाहिए-

हिनस्ति दैत्यतेजांसि स्वनेनापूर्य या जगत् |
सा घण्टा पातु नो देवि पापेभ्योनः सुतानिव ||

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जीवन में आरोग्य और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए मां दुर्गा की आराधना इस मंत्र से करना चाहिए-

देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम् |
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ||

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प्रसन्नता प्राप्ति के लिए मां दुर्गा की आराधना इस मंत्र के द्वारा करना चाहिए-

प्रणतानां प्रसीद त्वं देवि विश्वार्तिहारिणि |
त्रैलोक्यवासिनामीड्ये लोकानां वरदा भव ||

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भक्ति प्राप्ति के लिए मां दुर्गा की वंदना इस मंत्र के द्वारा करना चाहिए-

नतेभ्यः सर्वदा भक्त्या चण्डिके दुरितापहे |
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ||

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स्वर्ग और मोक्ष की प्राप्ति के लिए मां दुर्गा की स्तुति इस मंत्र के द्वारा करना चाहिए-

सर्वभूता यदा देवी स्वर्गमुक्तिप्रदायिनी |
त्वं स्तुता स्तुतये का वा भवन्तु परमोक्तयः ||

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महामारी नाश के लिए मां दुर्गा की आराधना इस मंत्र के द्वारा करना चाहिए-
जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी |
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तु ते ||

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विविध उपद्रवों से बचने के लिए मां दुर्गा की आराधना इस मंत्र का जाप करते हुए करना चाहिए-

रक्षांसि यत्रोग्रविषाश्च नागा यत्रारयो दस्युबलानि यत्र |दावानलो यत्र तथाब्धिमध्ये तत्र स्थिता त्वं परिपासि विश्वम् ||


चौंसठ योगिनि


चौंसठ योगिनियों के नाम :- 

1.बहुरूप,              2.तारा,                 3.नर्मदा,                  4.यमुना,
5.शांति,                6.वारुणी              7.क्षेमंकरी,               8.ऐन्द्री,
9.वाराही,              10.रणवीरा,         11.वानर-मुखी,          12.वैष्णवी,
13.कालरात्रि,        14.वैद्य रूपा,       15.चर्चिका                16.बेतली,
 17.छिन्नमस्तिका,   18.वृषवाहन,    19.ज्वाला कामिनी,   20.घटवार,
 21.कराकाली,            22.सरस्वती,       23.बिरूपा,           24.कौवेरी,
 25.भलुका,               26.नारसिंही,        27.बिरजा,            28.विकतांना,
 29.महालक्ष्मी,          30.कौमारी,          31.महामाया         32.रति,
 33.करकरी,             34.सर्पश्या,           35.यक्षिणी,          36.विनायकी,
 37.विंध्यवासिनी,       38. वीर कुमारी,       39. माहेश्वरी,     40.अम्बिका,
 41.कामिनी,               42.घटाबरी,            43.स्तुती,            44.काली,
 45.उमा,                 46.नारायणी,            47.समुद्र                48.ब्रह्मिनी,
 49.ज्वाला मुखी,       50.आग्नेयी             , 51.अदिति,           52.चन्द्रकान्ति,
53.वायुवेगा,            54.चामुण्डा,               55.मूरति,              56.गंगा,
 57.धूमावती,             58.गांधार,               59.सर्व मंगला,         60.अजिता,
61.सूर्यपुत्री                62.वायु वीणा,             63.अघोर              64. भद्रकाली।

प्रमुख रूप से आठ योगिनियां हैं जिनके नाम इस प्रकार हैं:-

 1.सुर-सुंदरी योगिनी,                      2.मनोहरा योगिनी,
3.  कनकवती योगिनी,                     4.कामेश्वरी योगिनी
, 5. रति सुंदरी योगिनी,                     6. पद्मिनी योगिनी,
7. नतिनी योगिनी और                     8. मधुमती योगिनी।  


समस्त योगिनियां अलौकिक शक्तिओं से सम्पन्न हैं तथा इंद्रजाल, जादू, वशीकरण, मारण, स्तंभन इत्यादि कर्म इन्हीं की कृपा द्वारा ही सफल हो पाते हैं