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Thursday, 10 November 2016

शिव जी के भक्तों को शिवलिंग पर क्या नहीं चढ़ाना चाहिए,Shivling par kya nhi chadhaye

केतकी

केतकी के फूल एक बार ब्रह्माजी व विष्णुजी में विवाद छिड़ गया कि दोनों में श्रेष्ठ कौन है। ब्रह्माजी सृष्टि के रचयिता होने के कारण श्रेष्ठ होने का दावा कर रहे थे और भगवान विष्णु पूरी सृष्टि के पालनकर्ता के रूप में स्वयं को श्रेष्ठ कह रहे थे। तभी वहां एक विराट लिंग प्रकट हुआ। दोनों देवताओं ने सहमति से यह निश्चय किया गया कि जो इस लिंग के छोर का पहले पता लगाएगा उसे ही श्रेष्ठ माना जाएगा। अत: दोनों विपरीत दिशा में शिवलिंग की छोर ढूढंने निकले।
छोर न मिलने के कारण विष्णुजी लौट आए। ब्रह्मा जी भी सफल नहीं हुए परंतु उन्होंने आकर विष्णुजी से कहा कि वे छोर तक पहुँच गए थे। उन्होंने केतकी के फूल को इस बात का साक्षी बताया। ब्रह्मा जी के असत्य कहने पर स्वयं शिव वहाँ प्रकट हुए और उन्होंने ब्रह्माजी की एक सिर काट दिया और केतकी के फूल को श्राप दिया कि शिव जी की पूजा में कभी भी केतकी के फूलों का इस्तेमाल नहीं होगा।

कुमकुम

सिंदूर या कुमकुम हिंदू महिलाएं अपने पति की लम्बी उम्र के लिए लगाती हैं। जैसा की हम जानते हैं कि भगवान शिव विध्वंसक के रूप में जाने जाते हैं इसलिए शिवलिंग पर कुमकुम नहीं चढ़ाया जाता है।




नारियल पानी


शिव जी की पूजा नारियल से होती है लेकिन नारियल पानी से नहीं। क्योंकि शिवलिंग पर चढ़ाई जाने वाली सारी चीज़ें निर्मल होनी चाहिए यानि जिसका सेवन ना किया जाए। नारियल पानी देवताओं को चढ़ाये जाने के बाद ग्रहण किया जाता है इसीलिए शिवलिंग पर नारियल पानी नहीं चढ़ाया जाता है।

तुलसी 


 जालंधर नाम का असुर भगवान शिव के हाथों मारा गया था। जालंधर को एक वरदान मिला हुआ था कि वह अपनी पत्नी की पवित्रता की वजह से उसे कोई भी अपराजित नहीं कर सकता है। लेकिन जालंधर को मरने के लिए भगवान विष्णु को जालंधर की पत्नी तुलसी की पवित्रता को भंग करना पड़ा। अपने पति की मौत से नाराज़ तुलसी ने भगवान शिव का बहिष्कार कर दिया था

 हल्दी



शिवलिंग पर हल्दी कभी नहीं चढ़ाई जाती है क्योंकि यह महिलाओं की सुंदरता को बढ़ाने के लिए इस्तेमाल होती है। और भगवान शिव तो वैसे ही सुंदर है। जिसके कारण भगवान शिव के प्रतीक शिवलिंग पर हल्दी नही चढाई जाती है।


इसके अलावा वीर मित्रोदय में वर्णित शिव पूजन में निसिद्ध वस्तुए निम्न है 


कदम्ब ,सारहीनफूल ,कढुमर,केवड़ा ,शिरीष ,तिन्तिणी ,कोष्ठ ,कैथ ,गाजर ,बहेड़ा ,कपास ,गंभारी,पत्रकंटक ,सेमल ,अनार ,धव,वसन्त ऋतू में खिलने वाला कंद विशेष ,कुंद,जूही ,मदन्ति ,सर्ज ,और दोपहरिया के पुष्प भगवन शंकर को चढाने नहीं चाहिए | 

। कीड़े लगे फूल, बासी फूल भगवान को न चढ़ाएं। . जमीन पर बिखरे या पेड़ से नीचे गिरे फूल भी देव पूजा में चढ़ाएं। . कली या अध खिले फूल भी अर्पित न करें। . पेड़ या पौधों से तोड़कर लाए ताजे फूल देव पूजा में चढ़ाएं। . भगवान पर चढ़ा, उल्टे हाथ में रखा, धोती के पल्ले में बांधकर लाया और पानी से धोया फूल भी न चढ़ाएं। . पौधे पर जिस स्थिति में फूल खिलता है, उसी स्थिति में सीधे हाथ से भगवान को चढ़ाएं। . कुशा से मूर्ति पर जल न छिड़के। . फूलों को किसी टोकरी में तोड़कर लाएं। .भगवान को कभी भी सूखे फूल न चढ़ाएं। भगवान का निर्माल्य करते समय तर्जनी एवं अंगुष्ठ का उपयोग करें। भगवान को फूल चढाते समय अंगूठा, मध्यमा एवं अनामिका का प्रयोग करना चाहिए। कनिष्ठा का उपयोग कहीं न करे

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