भगवान शंकर की पूजा के सन्दर्भ में वेदों में वर्णित है
तप, शील, सर्वगुण संपन्न वेद में निष्णात किसी ब्राह्मण को सौ सुवर्ण दान करने पर जो फल प्राप्त होता है, वह शिव पर सौ फूल चढ़ा देने से प्राप्त हो जाता है। जैसे दस सुवर्ण दान का फल एक आक के फूल को चढ़ाने से मिलता है, उसी प्रकार हजार आक के फूलों का फल एक कनेर से और हजार कनेर के बराबर एक बिल्व पत्र से मिलता है। समस्त फूलों में सबसे बढ़कर नीलकमल होता है।
भगवान को ताजे, बिना मुरझाए तथा बिना कीड़ों के खाए हुए फूल डंठलों सहित चढाने चाहिए। फूलों को देव मूर्ति की तरफ करके उन्हें उल्टा अर्नित करे। बेल का पत्ता भी उल्टा अर्पण करे। बेल एवं दूर्वा का अग्रभाग अपनी ओर होना चाहिए। उसे मूर्ति की तरफ न करे।
भगवान शंकर की पूजा में चढ़ाये जा सकने वाले फूल
भगवान विष्णु की पूजा में जिस भी फूल का प्रयोग होता है ,उनमे से केतकी या केवड़े को छोड़कर बाकि सभी फूल भगवान शंकर पर चढ़ाये जा सकते है | कमल और कुमुद के पुष्प ग्यारह
से पंद्रह दिन तक भी बासी नहीं होते।
व्यास मुनि जी ने कनेर की कोटि में चमेली , मौलसिरी ,पाटला,
व्यास मुनि जी ने कनेर की कोटि में चमेली , मौलसिरी ,पाटला,
श्वेत कमल ,शमी के फूल और बड़ी भटकटैया ,धतूरे की कोटि में
नाग चंपा और पूनाग को शिव पूजा में उपयोगी बताया है |
करवीर ,कनेर मौलसिरी, आक धतूरा ,पाढऱ,बड़ी कटेरी ,कुरैया ,कास ,मदार,
भविष्य पुराण के अनुसार भगवान शंकर पर चढाने योग्य फूलो के नाम
करवीर ,कनेर मौलसिरी, आक धतूरा ,पाढऱ,बड़ी कटेरी ,कुरैया ,कास ,मदार,
अपराजिता ,शमी का फूल ,कुब्जक ,शंख पुष्पी ,चिचिड़ा ,चिचिरी कमल ,चमेली ,नाग चंपा ,चंपा ,खस,तगर ,नाग केशर ,किंकिरात ,,गुमा, शीशम ,जयंती ,बेला,
पलाश ,बेलपत्ता ,कुशुम्भ पुष्प ,नील और लाल कमल |
लाल व सफेद आंकड़े के फूल से भगवान शिव का पूजन करने पर भोग व मोक्ष की प्राप्ति होती है।
चमेली के फूल से पूजन करने पर वाहन सुख मिलता है।
अलसी के फूलों से शिव का पूजन करने से मनुष्य भगवान विष्णु को प्रिय होता है।
शमी पत्रों (पत्तों) से पूजन करने पर मोक्ष प्राप्त होता है।
बेला के फूल से पूजन करने पर सुंदर व सुशील पत्नी मिलती है।
जूही के फूल से शिव का पूजन करें तो घर में कभी अन्न की कमी नहीं होती।
कनेर के फूलों से शिव पूजन करने से नए वस्त्र मिलते हैं।
हरसिंगार के फूलों से पूजन करने पर सुख-सम्पत्ति में वृद्धि होती है।
धतूरे के फूल से पूजन करने पर भगवान शंकर सुयोग्य पुत्र प्रदान करते हैं,
लाल डंठलवाला धतूरा पूजन में शुभ माना गया है।
दूर्वा से पूजन करने पर आयु बढ़ती है।
भगवान शिव को कौन सा द्रव्य चढ़ाने से उसका क्या फल मिलता है
ज्वर (बुखार) होने पर भगवान शिव को जलधारा चढ़ाने से शीघ्र लाभ मिलता है। सुख व संतान की वृद्धि के लिए भी जलधारा द्वारा शिव की पूजा उत्तम बताई गई है।
नपुंसक व्यक्ति अगर घी से भगवान शिव का अभिषेक करे, ब्राह्मणों को भोजन कराए तथा सोमवार का व्रत करे तो उसकी समस्या का निदान संभव है।
तेज दिमाग के लिए शक्कर मिश्रित दूध भगवान शिव को चढ़ाएं।
सुगंधित तेल से भगवान शिव का अभिषेक करने पर समृद्धि में वृद्धि होती है।
शिवलिंग पर ईख का रस चढ़ाया जाए तो सभी आनंदों की प्राप्ति होती है।
शिव को गंगाजल चढ़ाने से भोग व मोक्ष दोनों की प्राप्ति होती है।
शहद से भगवान शिव का अभिषेक करने से राजयक्ष्मा टीबी रोग में आराम मिलता है।
शिवपुराण के लिए अनुसार शिवजी को अर्पित भस्म तैयार करने के लिए कपिला गाय के गोबर से बने कंडे, शमी, पीपल, पलाश, बड़, अमलतास और बेर के वृक्ष की लकडिय़ों को एक साथ जलाया जाता है। इस दौरान उचित मंत्रोच्चार किए जाते हैं। इन चीजों को जलाने पर जो भस्म प्राप्त होती है, उसे कपड़े से छान लिया जाता है। इस प्रकार तैयार की गई भस्म शिवजी को अर्पित की जाती है।ऐसा माना जाता है कि इस प्रकार तैयार की गई भस्म को यदि कोई इंसान भी धारण करता है तो वह सभी सुख-सुविधाएं प्राप्त करता है। शिवपुराण के अनुसार ऐसी भस्म धारण करने से व्यक्ति का आकर्षण बढ़ता है, समाज में मान-सम्मान प्राप्त होता है। अत: शिवजी को अर्पित की गई भस्म का तिलक लगाना चाहिए।
लाल व सफेद आंकड़े के फूल से भगवान शिव का पूजन करने पर भोग व मोक्ष की प्राप्ति होती है।
चमेली के फूल से पूजन करने पर वाहन सुख मिलता है।
अलसी के फूलों से शिव का पूजन करने से मनुष्य भगवान विष्णु को प्रिय होता है।
शमी पत्रों (पत्तों) से पूजन करने पर मोक्ष प्राप्त होता है।
बेला के फूल से पूजन करने पर सुंदर व सुशील पत्नी मिलती है।
जूही के फूल से शिव का पूजन करें तो घर में कभी अन्न की कमी नहीं होती।
कनेर के फूलों से शिव पूजन करने से नए वस्त्र मिलते हैं।
हरसिंगार के फूलों से पूजन करने पर सुख-सम्पत्ति में वृद्धि होती है।
धतूरे के फूल से पूजन करने पर भगवान शंकर सुयोग्य पुत्र प्रदान करते हैं,
लाल डंठलवाला धतूरा पूजन में शुभ माना गया है।
दूर्वा से पूजन करने पर आयु बढ़ती है।
भगवान शिव को कौन सा द्रव्य चढ़ाने से उसका क्या फल मिलता है
ज्वर (बुखार) होने पर भगवान शिव को जलधारा चढ़ाने से शीघ्र लाभ मिलता है। सुख व संतान की वृद्धि के लिए भी जलधारा द्वारा शिव की पूजा उत्तम बताई गई है।
नपुंसक व्यक्ति अगर घी से भगवान शिव का अभिषेक करे, ब्राह्मणों को भोजन कराए तथा सोमवार का व्रत करे तो उसकी समस्या का निदान संभव है।
तेज दिमाग के लिए शक्कर मिश्रित दूध भगवान शिव को चढ़ाएं।
सुगंधित तेल से भगवान शिव का अभिषेक करने पर समृद्धि में वृद्धि होती है।
शिवलिंग पर ईख का रस चढ़ाया जाए तो सभी आनंदों की प्राप्ति होती है।
शिव को गंगाजल चढ़ाने से भोग व मोक्ष दोनों की प्राप्ति होती है।
शहद से भगवान शिव का अभिषेक करने से राजयक्ष्मा टीबी रोग में आराम मिलता है।
शिवपुराण के लिए अनुसार शिवजी को अर्पित भस्म तैयार करने के लिए कपिला गाय के गोबर से बने कंडे, शमी, पीपल, पलाश, बड़, अमलतास और बेर के वृक्ष की लकडिय़ों को एक साथ जलाया जाता है। इस दौरान उचित मंत्रोच्चार किए जाते हैं। इन चीजों को जलाने पर जो भस्म प्राप्त होती है, उसे कपड़े से छान लिया जाता है। इस प्रकार तैयार की गई भस्म शिवजी को अर्पित की जाती है।ऐसा माना जाता है कि इस प्रकार तैयार की गई भस्म को यदि कोई इंसान भी धारण करता है तो वह सभी सुख-सुविधाएं प्राप्त करता है। शिवपुराण के अनुसार ऐसी भस्म धारण करने से व्यक्ति का आकर्षण बढ़ता है, समाज में मान-सम्मान प्राप्त होता है। अत: शिवजी को अर्पित की गई भस्म का तिलक लगाना चाहिए।
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