जटा बांधने का मंत्र
साधुओ का जटा बांधने का मंत्र
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साधुओ का जटा
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जटा ( साधुओ के सिर के बाल ) साधुओ की एक मुख्य पहचान है , उसके साथ भी कई पहलु जुड़े होते है | कोई उसे जिंदगी भर के लिए धारण कर्ता है, कोई बारह साल तक ,या किसी निश्चित समय के लिए |
निश्चित समय के लिए रखी गई जटा का प्रत्यर्पण कुम्भ के मेले में किया जाता है | जटा को बांधने के लिए लिए नाथ साधुओ में मंतर प्रचलित है | जो की इस प्रकार है |
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साधुओ का जटा
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सत नमो आदेश ,गुरु जी को आदेश , ओमगुरुजी नीली पिली सिर जटा , जटा रमाई पाताल गंगा नाम शतानि शिवजटा ,अनन्त जटा भुजा पसर |नाम सहस्त्रेण विष्णु ब्रह्मा , भेव जटा का शिव शंकर पाया |अगन प्रजाले ब्रह्माजी बैठे , जटा अगन में होमे काया |तापी जटा तापी काया , तक महादेव बन्दा पाया |उरम धुरम सिर जटा ज्वाला ,सिर उनमन पलटे पारा |अह्नाद नाद बजे हमारा ,सिद्ध नाथ श्री गोरखजी ने कहाया |शब्द का सुच्चा , गुरां का बन्दा . गुरुप्रसाद जटा जमाया |काम क्रोध त्यागे माया ,अक्षय योगी सबसे न्यारा |बिना मंत्र पढ़ जटा जमाया , सो योगी नरक समाया |मंत्र पढ़ जटा समाया , सो योगी जटा शिवपुरी में बासा |इतना जटा जप सम्पूर्ण भया |श्री नाथ गुरूजी को आदेश | आदेश | आदेश |
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