रुद्राक्ष मंत्र , महिमा ,लाभ
रुद्राक्ष तंत्र- मंत्र ,जप -तप, साधना -आराधना में एक उचित स्थान रखने वाला परमेश्वर कृत वृक्ष फल है |इसकी उत्त्पत्ति भगवन शिव के आंसू से मानी गयी है | नाथ साधु रुद्राक्ष का किसी भी रूप में इसका वरन कर लेते है |रुद्राक्ष से नाथ साधु की प्रभाव शीलता और भी सुनिशिचित हो जाती है |रुद्राक्ष माला को कच्चे दूध ,धुप दीप शहद ,गंगाजल आदि से शुद्ध करके मंत्र जप करके धारण करते है |
--------------------------------------------------------------------------------------------------------------- रुद्राक्ष मंत्र (शाबर )
सत नमो आदेश | गुरूजी को आदेश | ॐ गुरूजी |
मुखे ब्रह्मा मध्ये विष्णु लिंग नाम महेश्वर सर्वदेव नमस्कारं रुद्राक्षाय नमो नमः |गगनमंडल में धुन्धकारा पाताल निरंजन निराकार |
निराकार में चरण पादुका , चरण पादुका में पिण्डी,पिण्डी में वासुक ,वासुक में कासुक ,कासुक में कूर्म ,कूर्म में मरी ,मरी में नागफणी ,नागफणी में अलख पुरुष ,अलख पुरुष ने बैल के सिंग पर राई ठहराई |धीरज धर्म की धुनि जमाई ,वहां पर रुद्राक्ष सुमेर पर्वत पर जमाइये | उसमे से फूटे ६ (छह ) डाली , एक गया पूर्व ,एक गया दक्षिण ,एक गया पश्चिम ,एक गया उत्तर , एक गया आकाश ,एक गया पाताल |उसमे लाग्या एक मुखी रुद्राक्ष ,श्री रूद्र पर चढ़ाइए | श्री ओंकार आदिनाथ जी को |
दो मुखी रुद्राक्ष चढ़ाइए सूर्य चन्द्र को | तीन मुखी रुद्राक्ष चढ़ाइए तीन लोको को |
चतुर्मुखी रुद्राक्ष चढ़ाइए चार वेदों को | पञ्च मुखी रुद्राक्ष चढ़ाइए पञ्च पांडवो को |
छह मुखी रुद्राक्ष चढ़ाइए षट दर्शन को | सत मुखी रुद्राक्ष चढ़ाइए सात समुन्द्रो को |
अष्ट मुखी रुद्राक्ष चढ़ाइए अष्ट कुली नागों को | नव मुखी रुद्राक्ष चढ़ाइए नवनाथों को |
दशमुखी रुद्राक्ष चढ़ाइए दश अवतारों को| ग्यारह मुखी रुद्राक्ष चढ़ाइए ग्यारह रुद्रो को |
बारह मुखी रुद्राक्ष चढ़ाइए बारह पंथो को | तेरह मुखी रुद्राक्ष चढ़ाइए तैंतीस कोटि देवताओ को |
चौदह मुखी रुद्राक्ष चढ़ाइए चौदह भुवनों को | पन्द्रह मुखी मुखी रुद्राक्ष चढ़ाइए पंद्रह तिथियों को |
सोलह मुखी रुद्राक्ष चढ़ाइए सोलह श्रृंगारो को | सत्रह मुखी रुद्राक्ष चढ़ाइए माता सीता को |
अट्ठारह मुखी रुद्राक्ष चढ़ाइए अट्ठारह भार वनस्पतियो को |उन्नीश मुखी रुद्राक्ष चढ़ाइए अलख पुरुष को |
बीस मुखी रुद्राक्ष चढ़ाइए विष्णु भगवन को | इक्कीस मुखी रुद्राक्ष चढ़ाइए इक्कीस ब्रह्माण्ड शिव को |
निरमुखी रुद्राक्ष चढ़ाइए निराकार को |इतना रुद्राक्ष मंत्र सम्पूर्ण भया |
श्री नाथ जी के चरण कमल में आदेश | आदेश | आदेश |
इस मंत्र के साथ करन्यास करने का भी विधान है ,परंतु उसकी अधिक जानकारी न होने के कारण उसकी उपलब्धता पर संशय हो सकता है |किसी महापुरुष के पास जानकारी हो तो अवश्य उपलब्ध कराये |
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एकमुखी रुद्राक्ष-
एक मुखी रुद्राक्ष साक्षात् शिवजी का ही रूप है। जिन लोगों को महालक्ष्मी की कृपा चाहिए और सभी सुख-सुविधाएं चाहिए उन्हें एकमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए |ऐसा रुद्राक्ष जिसमें एक ही आँख अथवा बिंदी हो। स्वयं शिव का स्वरूप है जो सभी प्रकार के सुख, मोक्ष और उन्नति प्रदान करता ह|
एकमुखी रुद्राक्ष का मंत्र -ऊँ ह्रीं नम:।
दोमुखी रुद्राक्ष-
दोमुखी रुद्राक्ष को देवदेवेश्वर कहा गया है। सभी प्रकार की मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए इसे धारण करना चाहिए।
दोमुखी रुद्राक्ष का मंत्र - ऊँ नम:।
तीनमुखी रुद्राक्ष-
शिवपुराण के अनुसार तीन मुखी रुद्राक्ष साक्षात साधाना का फल देने वाला बताया गया है। जिन लोगों को विद्या प्राप्ति की अभिलाषा है
तीनमुखी का मंत्र ऊँ क्लीं नम: |
चारमुखी रुद्राक्ष-
चारमुखी रुद्राक्ष को साक्षात् ब्रह्मा का ही रूप माना गया है। इस रुद्राक्ष को धारण करने वाले भक्त को धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की प्राप्ति होती है।
चारमुखी मंत्र है-ऊँ ह्रीं नम:।
रुद्राक्ष |
पांचमुखी रुद्राक्ष-
जिन भक्तों को सभी परेशानियों से मुक्ति चाहिए और मनोवांछित फल प्राप्त करने की इच्छा है उन्हें पंच मुखी धारण करना चाहिए। । यह रुद्राक्ष सभी प्रकार के पापों के प्रभाव को भी कम करता है।
पांचमुखी रुद्राक्ष मंत्र है - ऊँ ह्रीं नम:।
छहमुखी रुद्राक्ष-
यह रुद्राक्ष भगवान कार्तिकेय का रूप माना जाता है। कार्तिकेय भगवान शिव के पुत्र हैं। जो व्यक्ति इस रुद्राक्ष को दाहिनी बांह पर धारण करता है उसे ब्रह्महत्या जैसे पापों से भी मुक्ति मिल जाती है।
छहमुखी रुद्राक्ष मंत्र "ऊँ ह्रीं हुं नम:"।
सातमुखी रुद्राक्ष-
जो व्यक्ति गरीबी से मुक्ति चाहता है उसे सातमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। इस रुद्राक्ष को धारण करने से गरीब से गरीब व्यक्ति भी धनवान बन सकता है।
सातमुखी रुद्राक्ष मंत्र " ऊँ हुं नम:"।
आठमुखी रुद्राक्ष-
शिवपुराण के अनुसार अष्टमुखी रुद्राक्ष भैरव महाराज का रूप माना जाता है। जो व्यक्ति इस रुद्राक्ष को धारण करता है वह अकाल मृत्यु से शरीर का त्याग नहीं करता है। ऐसे लोग पूर्ण आयु जीते हैं।
आठमुखी रुद्राक्ष मंत्र "ऊँ हुं नम:"।
नौमुखी रुद्राक्ष-
यह रुद्राक्ष महादेवी के नौ रूपों का प्रतीक है। जो लोग नौ मुखी रुद्राक्षधारण करते हैं वे सभी सुख-सुविधाएं प्राप्त करते हैं और समाज में मान-सम्मान प्राप्त करते हैं।
नौमुखी रुद्राक्ष मंत्र "ऊँ ह्रीं हुं नम:"।
दसमुखी रुद्राक्ष-
जो लोग अपनी सभी इच्छाएं पूरी करना चाहते हैं वे दसमुखी रुद्राक्ष पहन सकते हैं। यह रुद्राक्ष भगवान विष्णु का प्रतीक है।
दसमुखी रुद्राक्षमंत्र " ऊँ ह्रीं नम:"।
ग्यारहमुखी रुद्राक्ष-
शिवपुराण के अनुसार ग्यारहमुखी रुद्राक्ष भगवान शिव के अवतार रुद्रदेव का रूप है। जो व्यक्ति इस रुद्राक्ष को धारण करता है वह सभी क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करता है। शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
ग्यारहमुखी रुद्राक्ष मंत्र " ऊँ ह्रीं हुं नम:"।
बारहमुखी रुद्राक्ष-
जो लोग बाहरमुखी रुद्राक्ष धारण करते हैं उन्हें बारह आदित्यों की विशेष कृपा प्राप्त होती है। बारहमुखी रुद्राक्ष बालों में धारण करना चाहिए।
बारहमुखी रुद्राक्ष मंत्र है "ऊँ क्रौं क्षौं रौं नम:"।
तेरहमुखी रुद्राक्ष-
यह रुद्राक्ष विश्वेदेवों का स्वरूप माना गया है। जो व्यक्ति इस रुद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति भाग्यशाली बन सकता है। तेरहमुखी रुद्राक्ष से धन लाभ होता है।
तेरहमुखी रुद्राक्ष मंत्र "ऊँ ह्रीं नम:"।
चौदहमुखी रुद्राक्ष-
इस रुद्राक्ष को साक्षात् शिवजी का ही रूप माना गया है। इसे धारण करने वाले व्यक्ति को सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिल जाती है। इस रुद्राक्ष को मस्तक पर धारण करना चाहिए।
चौदहमुखी रुद्राक्ष मंत्र " ऊँ नम:"।
गणेश रुद्राक्ष |
----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------गणेश रुद्राक्ष-
गणेश रुद्राक्ष की पहचान है उस पर प्राकृतिक रूप से रुद्राक्ष पर एक उभरी हुई सुंडाकृति बनी रहती है। यह अत्यंत दुर्लभ तथा शक्तिशाली रुद्राक्ष है। यह गणेशजी की शक्ति तथा सायुज्यता का द्योतक है। धारण करने वाले को यह बुद्धि, रिद्धी- सिद्धी प्रदान कर व्यापार में आश्चर्यजनक प्रगति कराता है। विद्यार्थियों के चित्त में एकाग्रता बढ़ाकर सफलता प्रदान करने में सक्षम होता है। यहाँ रुद्राक्ष आपकी विघ्न-बाधाओं से रक्षा करता है|शेषनाग रुद्राक्ष-
जिस रुद्राक्ष की पूँछ पर उभरी हुई फनाकृति हो और वह प्राकृतिक रूप से बनी रहती है, उसे शेषनाग रुद्राक्ष कहते हैं। यह अत्यंत ही दुर्लभ रुद्राक्ष है। यह धारक की निरंतर प्रगति कराता है। धन-धान्य,
शारीरिक और मानसिक उन्नति में सहायक सिद्ध होता है। सभी मानव जो भोग व मोक्ष,
दोनों की कामना करते हैं उन्हें रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए।
गौरी शंकर रुद्राक्ष- |
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