मन्त्रों के मुख्य पांच प्रकार है -
१ . प्रबल साबर – इस प्रकार के साबर मन्त्र कार्य सिद्धि के लिए प्रयोग होते है , इन में प्रत्यक्षीकरण नहीं होता ! केवल जिस मंशा से जप किया जाता है वह इच्छा पूर्ण हो जाती है ! इन्हें कार्य सिद्धि मंत्र कहना गलत ना होगा ! यह मंत्र सभी प्रकार के कर्मों को करने में सक्षम है ! अतः इस प्रकार के मन्त्रों में व्यक्ति देवता से कार्यसिद्धि के लिए प्रार्थना करता है , साधक एक याचक के रूप में देवता से याचना करता है !
२. बर्भर साबर – इस प्रकार के साबर मन्त्र भी सभी प्रकार के कार्यों को करने में सक्षम है पर यह प्रबल साबर मन्त्रों से अधिक तीव्र माने जाते है ! बर्भर साबर मन्त्रों में साधक देवता से याचना नहीं करता अपितु देवता से सौदा करता है ! इस प्रकार के मन्त्रों में देवता को गाली, श्राप, दुहाई और धमकी आदि देकर काम करवाया जाता है ! देवता को भेंट दी जाती है और कहा जाता है कि मेरा अमुक कार्य होने पर मैं आपको इसी प्रकार भेंट दूंगा ! यह मंत्र बहुत ज्यादा उग्र होते है !
३. बराटी साबर – इस प्रकार के साबर मन्त्रों में देवता को भेंट आदि ना देकर उनसे बलपूर्वक काम करवाया जाता है ! यह मंत्र स्वयं सिद्ध होते है पर गुरुमुखी होने पर ही अपना पूर्ण प्रभाव दिखाते है ! इस प्रकार के मंत्रों में साधक याचक नहीं होता और ना ही सौदा करता है ! वह देवता को आदेश देता है कि मेरा अमुक कार्य तुरंत करो ! यह मन्त्र मुख्य रूप से योगी कानिफनाथ जी के कापालिक मत में अधिक प्रचलित है ! कुछ प्रयोगों में योगी अपने जुते पर मंत्र पढ़कर उस जुते को जोर जोर से नीचे मारते है तो देवता को चोट लगती है और मजबूर होकर देवता कार्य करता है !
४. अढैया साबर – इस प्रकार के साबर मंत्र बड़े ही प्रबल माने जाते है और इन मन्त्रों के प्रभाव से प्रत्यक्षीकरण बहुत जल्दी होता है ! प्रत्यक्षीकरण इन मन्त्रों की मुख्य विशेषता है और यह मंत्र लगभग ढ़ाई पंक्तियों के ही होते है ! अधिकतर अढैया मन्त्रों में दुहाई और धमकी का भी इस्तेमाल नहीं किया जाता पर फिर भी यह पूर्ण प्रभावी होते है !
५. डार साबर – डार साबर मन्त्र एक साथ अनेक देवताओं का दर्शन करवाने में सक्षम है जिस प्रकार “बारह भाई मसान” साधना में बारह के बारह मसान देव एक साथ दर्शन दे जाते है ! अनेक प्रकार के देवी देवता इस मंत्र के प्रभाव से दर्शन दे जाते है जैसे “चार वीर साधना” इस मार्ग से की जाती है और चारों वीर एक साथ प्रकट हो जाते है ! इन मन्त्रों की जितनी प्रशंसा की जाए उतना ही कम है , यह दिव्य सिद्धियों को देने वाले और हमारे इष्ट देवी देवताओं का दर्शन करवाने में पूर्ण रूप से सक्षम है ! गुरु अपने कुछ विशेष शिष्यों को ही इस प्रकार के मन्त्रों का ज्ञान देते है !
साबर मंत्रो के सुप्त होने के मुख्य कारण -१. यदि सभा में साबर मन्त्र बोल दिए जाये तो साबर मन्त्र अपना प्रभाव छोड़ देते है !
२.यदि किसी किताब से उठाकर मन्त्र जपना शुरू कर दे तो भी साबर मन्त्र अपना पूर्ण प्रभाव नहीं देते !
३.साबर मन्त्र अशुद्ध होते है इनके शब्दों का कोई अर्थ नहीं होता क्योंकि यह ग्रामीण भाषा में होते है यदि इन्हें शुद्ध कर दिया जाये तो यह अपना प्रभाव छोड़ देते है !
४.प्रदर्शन के लिए यदि इनका प्रयोग किया जाये तो यह अपना प्रभाव छोड़ देते है !
५.यदि केवल आजमाइश के लिए इन मंत्रो का जप किया जाये तो यह मन्त्र अपना पूर्ण प्रभाव नहीं देते !
ऐसे और भी अनेक कारण है ! उचित यही रहता है कि साबर मंत्रो को गुरुमुख से प्राप्त करे क्योंकि गुरु साक्षात शिव होते है और साबर मंत्रो के जन्मदाता स्वयं शिव है ! शिव के मुख से निकले मन्त्र असफल हो ही नहीं सकते !
मैं यहाँ साबर मंत्रो को जगाने की एक अनुभूत विधि लिख रहा हूँ ! साबर मंत्रो के सुप्त होने का कारण कुछ भी हो इस विधि के बाद साबर मन्त्र पूर्ण रूप से प्रभावी होते है !
|| मन्त्र ||
सत नमो आदेश ! गुरूजी को आदेश !
ॐ गुरूजी !
ड़ार शाबर बर्भर जागे ,
जागे अढैया और बराट
मेरा जगाया न जागे
तो तेरा नरक कुंड में वास !
दुहाई शाबरी माई की !
दुहाई शाबरनाथ की !
आदेश गुरु गोरख को !
|| विधि ||
इस मन्त्र को प्रतिदिन गोबर का कंडा सुलगाकर उसपर गुगल डाले और इस मन्त्र का १०८ बार जाप करे ! जब तक मन्त्र जाप हो गुगल सुलगती रहनी चाहिये ! यह क्रिया आपको २१ दिन करनी है , अच्छा होगा आप यह मन्त्र अपने गुरु के मुख से ले या किसी योग्य साधक के मुख से ले ! गुरु कृपा ही सर्वोपरि है कोई भी साधना करने से पहले गुरु आज्ञा जरूर ले !
|| प्रयोग विधि ||
जब भी कोई साधना करे तो इस मन्त्र को जप से पहले ११ बार पढ़े और जप समाप्त होने पर ११ बार दोबारा पढ़े मन्त्र का प्रभाव बढ़ जायेगा ! यदि कोई मन्त्र बार बार सिद्ध करने पर भी सिद्ध न हो तो किसी भी मंगलवार या रविवार के दिन उस मन्त्र को भोजपत्र या कागज़ पर केसर में गंगाजल मिलाकर अनार की कलम से या बड के पेड़ की कलम से लिख ले ! फिर किसी लकड़ी के फट्टे पर नया लाल वस्त्र बिछाएं और उस वस्त्र पर उस भोजपत्र को स्थापित करे ! घी का दीपक जलाये , अग्नि पर गुगल सुलगाये और शाबरी देवी या माँ पार्वती का पूजन करे और इस मन्त्र को १०८ बार जपे फिर जिस मन्त्र को जगाना है उसे १०८ बार जपे और दोबारा फिर इसी मन्त्र का १०८ बार जप करे ! लाल कपडे दो मंगवाए और एक घड़ा भी पहले से मंगवा कर रखे ! जिस लाल कपडे पर भोजपत्र स्थापित किया गया है उस लाल कपडे को घड़े के अन्दर रखे और भोजपत्र को भी घड़े के अन्दर रखे ! दुसरे लाल कपडे से भोजपत्र का मुह बांध दे और दोबारा उस कलश का पूजन करे और शाबरी माता से मन्त्र जगाने के लिए प्रार्थना करे और उस कलश को बहते पानी में बहा दे ! घर से इस कलश को बहाने के लिए ले जाते समय और पानी में कलश को बहाते समय जिस मन्त्र को जगाना है उसका जाप करते रहे ! यह क्रिया एक बार करने से ही प्रभाव देती है पर फिर भी इस क्रिया को ३ बार करना चाहिये मतलब रविवार को फिर मंगलवार को फिर दोबारा रविवार को !
भगवान् आदिनाथ और माँ शाबरी आप सबको मन्त्र सिद्धि प्रदान करे !
जय सदगुरुदेव !
shree Rk s ji .....आप का Blog देखा .....सबर मंत्रो में - कोई बुक में से - देख कर कैसे पता लगाया जाए की वो ( डार, शाबर ,बर्भर ,अढैया ,बाराट ) हे ...और गुरु न हो तो भी शाबर मंत्र करनेकी इच्छा हो तो कोई रास्ता हे ???...मार्गदर्सन देनेकी कृपा करे......जय गुरुदेव ....
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