Tuesday, 8 November 2016

नाथ संप्रदाय, nath samparday

नव नाथ,नाथ सम्प्रदाय




नाथ सम्प्रदाय के सबसे आदि में नौ मूल नाथ हुये हैं । जैसे नवनाथ के स्रम्बन्ध में काफी मतभेद है । किन्तु वर्तमान नाथ सम्प्रदाय के क्रमश: ये है


( 1 ) आदिनाथ . ॐ कार शिव, ज्योति रूप


(2) उदयनाथ पार्वती, पृथ्वी रूप


(3 ) सत्यनाथ ब्रम्हा, जल रूप


(4) संतोष नाथ विष्णु, तेज रूप


( 5 ) अचल (अचंभे) नाथ शेषनाग, पृथ्वी भार आरी


(6 ) क्रंथडिनाथ … गणपति, आकाश रूप


( 7 ) चौरंगीनाथ चन्द्रमा, वनस्पति रूप


( 8 ) मत्स्येन्द्रनाथ (नाश … माया रूप, करुणामय


( 8) गोरक्षनाथ अयोनिशंकर त्रिनेत्र, अलक्ष्य रूप






नवनाथ स्वरूप


सत नमो आदेश ,गुरु जी को आदेश ,
ॐ गुरु जी ॐ कार आदिनाथ ॐ कार स्वरूप बोलिये उदयनाथ पार्वती स्वरुप बोलिये
,सत्यनाथ ब्र्हमाजी स्वरूप बोलिये ,संतोषनाथ विष्णुजी खडग खांडा तेज स्वरुप बोलिये
अचल अचम्भेनाथ आकाश स्वरुप बोलिये ,गजेबलि गजकंथडनाथ गणेशजी गज हस्ती स्वरुप बोलिये
,ज्ञानपरखी सिद्धचौरंगी नाथ अठारह भर वनस्पति स्वरुप बोलिये ,
मायारूपी दादा मत्स्येन्द्र्नाथ माया स्वरूपं बोलिये ,
घटे पिंडे नव निरंतरे सम्पूर्ण रक्षा करंते श्री शम्भूजतो गुरु गोरख नाथ स्वरुप बोलिये
,इतना नो नाथ स्वरुप मंत्र सम्पूर्ण भया अनंत कोट सिद्धो में बैठकर गोरखनाथ जी ने कहाया नाथ जी गुरूजी आदेश \





इसके बाद योगेस्वर ने धरत्री गायत्री का जाप करके अपने नासिक की बांया स्वर चले तो प्रथम बांया पैर

,या दांया चले तो दांया पैर अथवा दोनों कहले तो दोनों पैर धरती रखे और नमस्कार करे






धरत्री गायत्री


सात नमो आदेश गुरूजी को आदेश ॐ गुरूजी | आद अलील अनाद उपाया सत्यकी धरती जुहारलो काया
,पहले जल ,जल पर कमल ,कमल पर मच्छ,मच्छ पर करम ,करम पर वासुकि ,वासुकि पर धौल बैल ,
धौल बैल पर सींग,सींग पर राइ ,राइ पर श्री नाथ जी ने नवखंड पृथ्वी ठहराई |
प्रथम धरत्री द्वितीय विशंभरा तीसरा मेरु मेदिनी चतुर्थे चतुर्भुजी पंचमे कृतिका ,
षष्टमे ब्रह्मचण्डी सप्तमी शिवकुमारी अष्टमे बल बज्रजोगिनि नवमे नवदुर्गा दसमे सिंहभवानी
एकादशे मृतिका नाक द्वादशे वरदायनी | माता धरत्री पिता आकाश ,पिंड प्राण का तो पर वास |
तो पर टेकु दोनों पाई आगमदे मेंलादु पाई | धरती माता तू सबसे बड़ी तुझ से बड़ा न कोई

जो पग टेकु तोपर मोपर कृपा सुहाय | धरती द्वादश नाम पठै गुणहै मनमे धरे |
जोगी का सब काम सिद्ध होय वाचा फुरे | इतना धरत्री गायत्री द्वादश नाम जाप सम्पूर्ण भया |
अनंत कोटि सिद्धों में श्री नाथ जी ने कहा गुरु जी को आदेश दादा मत्स्येन्द्र नाथ की पादुका को नमस्ते नमः |
औषधि पूर्ति पात्र दधाना सुमुखाम्बुजा सर्व ससयालया शुभ्रा भूदेवी शरण भजे |
समुद्रवसने देवी ,पर्वत स्तनमंडले विष्णु पत्नी नमस्तुभ्यम पाद स्पर्श क्षमस्व में ||





पांव उठाते समय निचे लिखा मंत्र पढ़े





सात नमो आदेश | गुरु जी को आदेश | ॐ गुरु जी | जिस दिशा को सुर वहत चलै, अवर चलन को चित्तू | सोई पग आगै धरो वेद कहे यहु हित्तु || चारि मंगला रवि प्रियने शशि सूर | गोरख जोगी भाखिया यही जीवन का सूर ||





यह प्रक्रिया होने के बाद धरती पर पांव रखे तथा धरती माता को नमस्कार करे | फिर निचे लिखे मन्त्र से हाथ पांव धोये तथा पानी पीये |



जल मंत्र


सत नमो आदेश | गुरूजी को आदेश | ॐ गुरु जी |
ॐ अलख निरंजन तेरी माया | जल बिम्बाय विदमहे निल पुरुषाय धी मही तन्नो अलील प्रचोदयात \
नाथ जी गुरु जी को आदेश |





अब गणेश मंत्र से काया शुद्ध करे

गणेश मंत्र


सत नमो आदेश | गुरूजी को आदेश | ॐ गुरु जी |ॐ मूल चक्र को करलो पाक परसो परम ज्योति प्रकाश |
गणपत स्वामी सन्मुख रहे , शुद्धि बुद्धि निर्मली गहे | गम की छोड़ अगम की कहे |
सतगुरु शब्द भेद पर रहे | ज्ञान गोष्ठी की काया थरपी नसतगुरु दियो लखाय |
मूल महल में पिंडक जड़िया गगन गर्जियों जय |
ॐ गणेशाय विद्यहे महागणपतये तन्नो एक दन्त प्रचोदयात |
इति गणेश गायत्री मंत्र संपूर्ण भया अनंत कोटि सिद्धों में बैठकर गुरु गोरखनाथ जी सुनाया |
नाथ गुरु जी को आदेश

2 comments:

  1. अग्या वीर बेताल को निकाल ने का मंत्र दे ने कि कृपा करे

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