ध्यान लगाने,आह्वान,आसन ग्रहण का मंतर
सर्वप्रथम एकाग्र मन से गुरूजी का ध्यान करे | तत्पश्चात गोरक्षनाथ जी का ध्यान करे |
आसन ग्रहण करने का मंतर
सतनमो आदेश गुरूजी को आदेश |
ॐ सोहं का सकल पसारा ,
रख लेव धरती माता साथ हमारा |
हम योगी युगत का आया |
अक्षय योगी कुश का आसन लाया |
पिंड छेदकर पिंड बनाया |
अजर अमर कर नाथ करत सेवा |
श्रीनाथ जि को आदेश |
अब ध्यान मंतर का स्मरण करे
ध्यान मंतर
सात नमो आदेश गुरु गुंसाई को आदेश | ॐ गुरूजी |ॐ लाल तिलक तीन लोचन ,निज तन सेहत भस्मन्ति |चाँद सूरज रत्नजड़ित अद्भुत कुंडल कानन में |सेली श्रृंगी अनहद नाड रूद्र मॉल कण्ठन में |बहल चन्दर लघु जटा विलसत ,कतई सेहत मृगछाले |बाघम्बर ,खाकम्बर, आसन ध्यान लगावे शून्ये नमः |युक्त की झोली मुक्त मेखला ,धीरज धुनि चेतन में |डमरू धारी त्रिशूलधारी युग युग बीते योग में |नाथ निरंजन जति गोरखनाथ ज्योत स्वरूप कहलावे |परम ज्योति आप विराजे गवरू शब्दु झालरी बाजे |मत्स्येन्द्र नाथ जी के पूता आं अवधूता शीश निमाउ चरणों में |श्री नाथ गुरु जी को आदेश |
ध्यान मंतर के बाद बिल्वपत्र और फूल आदि चढाने की मान्यता है |
फूलो में भी लाल फूल की मान्यता अधिक है |
आह्वान मंतर
किसी भी कार्य को करने से पहले इष्ट देव् का आह्वान किया जाता है |
हम यहाँ गोरखनाथ जी को इष्ट देव मानकर उनका आह्वान करने की विधि का वर्णन कर रहे है |
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