Thursday, 15 December 2016

श्वेतार्क,Calotropis gigantea (Crown flower) , आक, मदार

इसे संस्कृत में श्वेतार्क कहते हैं और हिंदी में इसे सफेद आक के नाम से जाना जाता है।इसको मदार के नाम से भी जाना जाता है | इस चमत्कारी आक के पौधे में हरी और नीली पत्तियां होती हैं। इसका फूल आकार में छोटा होता है और इनमें से किसी प्रकार की सुगंध नहीं होती। सफेद आक के पौधों की शाखाएं सफेद होती हैं और फूल भी सफेद होते हैं। यह एक दुर्लभ पौधा है। इसकी जड़ धीरे-धीरे गणपति का रूप ले लेती है। इसलिए इसे श्वेतार्क गणपति कहते हैं।
इसे संस्कृत में श्वेतार्क कहते हैं और हिंदी में इसे सफेद आक के नाम से जाना जाता है।इसको मदार के नाम से भी जाना जाता है | इस चमत्कारी आक के पौधे में हरी और नीली पत्तियां होती हैं। इसका फूल आकार में छोटा होता है और इनमें से किसी प्रकार की सुगंध नहीं होती। सफेद आक के पौधों की शाखाएं सफेद होती हैं और फूल भी सफेद होते हैं। यह एक दुर्लभ पौधा है। इसकी जड़ धीरे-धीरे गणपति का रूप ले लेती है। इसलिए इसे श्वेतार्क गणपति कहते हैं


शास्त्रों में श्वेतार्क के बारे में कहा गया है - ‘‘ जहां कहीं भी यह पौधा अपने आप उग आता है, उसके आस-पास पुराना धन गड़ा होता है । जिस घर में श्वेतार्क की जड़ रहेगी, वहां से दरिद्रता स्वयं पलायन कर जाएगी । मदार का पौधा देव कृपा, रक्षक एवं समृद्धिदाता है । सफेद मदार की जड़ में गणेशजी का वास होता है, कभी-कभी इसकी जड़ गणेशजी की आकृति ले लेती है । इसलिए सफेद मदार की जड़ कहीं से भी प्राप्त करें और उसकी श्रीगणेश की प्रतिमा बनवा लें । उस पर लाल सिंदूर का लेप करके उसे लाल वस्त्र पर स्थापित करें । यदि जड़ गणेशाकार नहीं है, तो किसी कारीगर से आकृति बनवाई जा सकती है । 

शास्त्रों में मदार की स्तुति इस मंत्र से करने का विघान है ।


चतुर्भुज रक्ततनुंत्रिनेत्रं पाशाकुशौ मोदरक पात्र दन्तो ।
करैर्दधयानं सरसीरूहस्थं गणाधिनाभंराशि चू यडमीडे ।।



गणेशोपासना में साधक लाल वस्त्र, लाल आसन, लाल पुष्प, लाल चंदन, मूंगा अथवा रूद्राक्ष की माला का प्रयोग करें । नेवैद्य में गुड़ व मूंग के लडडू अर्पित करें ।

ऊँ वक्रतुण्डाय हुम् ||


मंत्र का जप करें ।
। यह आम लक्ष्मी व गणपति की प्रतिमाओं से भिन्न होती है । यह प्रतिमा किसी धातु अथवा पत्थर की नहीं बल्कि जंगल में पाये जाने वाले एक पौधे का श्वेत आक के नाम से जाना जाता है । इसकी जड़ कम से कम 10 वर्ष से ज्यादा पुरानी हो उसमें स्वतः ही गणेशजी की प्रतिमा बन जाती है ।श्वेतक आक की जड़ यदि खोदकर निकल दी जाये तो नीचे की जड़ में गणपति जी की प्रतिमा प्राप्त होगी । इस प्रतिमा का नित्य पूजन करने से साधक को धन-धान्य की प्राप्ति होती है । यह प्रतिमा स्वतः सिद्ध होती है । तन्त्र शास्त्रों के अनुसार ऐसे घर में जहां यह प्रतिमा  हो, वहां रिद्धी-सिद्ध तथा अन्नपूर्णा देवी वास् करती है । श्रद्धा और भावना से की गई श्वेतार्क की पूजा का प्रभाव थोड़े बहुत समय बाद आप स्वयं प्रत्यक्ष रूप से अनुभव करने लगेंगे । तंत्र शास्त्र में श्वेतार्क गणपति की पूजा का विधान है । यह आम लक्ष्मी व गणपति की प्रतिमाओं से भिन्न होती है । यह प्रतिमा किसी धातु अथवा पत्थर की नहीं बल्कि जंगल में पाये जाने वाले एक पौधे का श्वेत आक के नाम से जाना जाता है । इसकी जड़ कम से कम 10 वर्ष से ज्यादा पुरानी हो उसमें स्वतः ही गणेशजी की प्रतिमा बन जाती है ।श्वेतक आक की जड़ यदि खोदकर निकल दी जाये तो नीचे की जड़ में गणपति जी की प्रतिमा प्राप्त होगी । इस प्रतिमा का नित्य पूजन करने से साधक को धन-धान्य की प्राप्ति होती है । यह प्रतिमा स्वतः सिद्ध होती है । तन्त्र शास्त्रों के अनुसार ऐसे घर में जहां यह प्रतिमा  हो, वहां रिद्धी-सिद्ध तथा अन्नपूर्णा देवी वास् करती है
 ‘‘ ओम गं गणपतये नमः ’’

 मंत्र का प्रतिदिन जप करने । जप के लिए लाल रंग का आसन प्रयोग करें तथा श्वेत आक की जड़ की माला से यह जप करें तो जप कल में ही साधक की हर मनोकामना गणपति जी पूरी करते हैं ।

 इसकी कलम में देवी सरस्वती का निवास माना जाता है ।



यह आपके अंगूठे से बड़ी नहीं होनी चाहिए । इसकी विधिवत पूजा करें । पूजन में लाल कनेर के पुष्प अवश्य इस्तेमाल में लांए ।
 इस मंत्र ‘‘

ऊँ पंचाकतम अंतरिक्षाय स्वाहा ’’ 

से पूजन करें और इसके पश्चात इस मंत्र


‘‘ ऊँ ह्रीं पूर्वदयां ऊँ ही्रं फट् स्वाहा ’’



से 108 आहुति दें ।

लाल कनेर के पुष्प शहद तथा शुद्ध गाय के घी से आहुति देने का विधान है । इसके बाद 11 माला जप नीचे लिखे मंत्र का करं और प्रतिदिन कम से कम 1 माला करें ।

‘‘ ऊँ गँ गणपतये नमः ’’

 का जप करें ।

अब

 ’’ ऊँ ह्रीं श्रीं मानसे सिद्धि करि ह्रीं नमः ’’


मंत्र बोलते हुए लाल कनेर के पुष्पों को नदी या सरोवर में प्रवाहित कर दें ।


श्वेतार्क गणेश पूजन:

 श्वेतार्क गणपति की प्रतिमा को पूर्व दिशा की तरफ ही स्.थापित करना चाहिए तथा श्वेत आक की जड़ की माला से यह गणेश मंत्रों का जप करने से सर्वकामना सिद्ध होती है । श्वेतार्क गणेश पूजन में लाल वस्त्र, लाल आसान, लाल पुष्प, लाल चंदन, मूंगा अथवा रूद्राक्ष की माला का प्रयोग करनी चाहिए । नेवैद्य में लडडू अर्पित करने चाहिए 
‘‘ ऊँ वक्रतुण्डाय हुम् ’’ 
मंत्र का जप करते हुए श्रद्धा व भक्ति भाव के साथ श्वेतार्क की पूजा कि जानी चाहिए पूजा के श्रद्धा व भक्ति भाव के साथ श्वेतार्क की पूजा कि जानी चाहिए पूजा के प्रभावस्वरूप् प्रत्यक्ष रूप से इसके शुभ फलों की प्राप्ति संभव हो पाती है । तन्त्र शास्त्र में भी श्वेतार्क गणपति की पूजा का विशेष बताया गया है । तंत्र शास्त्र अनुसार घर में इस प्रतिमा को स्ािापित करने से ऋद्धि-सिद्धि कि प्राप्ति होती है । इस प्रतिमा का नित्य पूजन करने से भक्त को धन-धान्य की प्राप्ति होती है तथा लक्ष्मी जी का निवास होता है । इसके पूजन द्वारा शत्रु भय समाप्त हो जाता है । श्वेतार्क प्रतिमा के सामने नित्य गणपति जी का मंत्र जाप करने से गणेशजी का आर्शिवाद प्राप्त होता है तथा उनकी कृपा बनी रहती है ।

इसे सफेद आक, मदार, श्वेत आक, राजार्क आदि नामों से जाना जाता है । सफेद फूलों वाले इस वृक्ष को गणपति का स्वरूप माना जाता है ।

श्वेतार्क गणेश महत्व:



दीपावली के दिन लक्ष्मी पूजन के साथ ही श्वेतार्क गणेश जी का पूजन व अथर्वशिर्ष का पाठ करने से बंधन दूर होते हैं और कार्यों में आई रूकावटें स्वत: ही दूर हो जाती है । धन की प्राप्ति हेतु श्वेतार्क की प्रतिमा को दीपावली की रात्रि में षडोषोपचार पूजन करना चाहिए । श्वेतार्क गणेश साधना अनेकों प्रकार की जटिलतम साधनाओं में सर्वाधिक सरल एवं सुरक्षित साधना है । श्वेतार्क गणपति समस्त प्रकार के विघनों के नाश के लिए सर्वपूजनीय है । श्वेतार्क गणपति की विधिवत स्ािापन और पूजन से समस्त कार्य साधानाएं आदि शीघ्र निर्विघं संपन्न होते है। ।
श्वेतार्क गणेश के सम्मुख मंत्र का प्रतिदिन 10 माला जप करना चाहिए तथा ‘

‘ ऊँ नमो हस्ति - मुखाय लम्बोदराय उच्छिष्ट - महात्मने आं क्रों हीं क्लीं ह्रीं हूं घे घे उच्छिष्टाय स्वाहा ’’ 


साधना से सभी इष्ट कार्य सिद्ध होते हैं

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