उपासना में प्रयोग होने वाले आसान व मालाओं का विवरण
आसन के विभिन्न प्रकार
१. मृग चर्म २.कुशाशन ३.व्याघ्र चर्म ४ ऊनी वस्त्रासन ५ रेशमी वस्त्रासन ६. काष्टआसन
कुशा पर आसन करने के लाभ
सफलता के आसार ज्यादा होते है |
मन में आंतरिक शांति होती है |
भूत प्रेत से बहुत बचाव रहता है |
मृग चर्म पर आसन करने के लाभ
धन तथा मोक्ष प्राप्ति के लिए काले रंग का मृग चर्म उपयोगी होता है |
विशेष इच्छा पूर्ति के लिए मृग चर्म बहुत उपयोगी है |
विशेष
मृग चर्म , मृग या हिरन एक लुप्तप्राय प्राणी है ,कृपया साधनाओ के चक्कर में कोई गलत कदम न उठाये
व्याघ्र चर्म पर आसन करने लाभ
व्याघ्र चर्म का उपयोग राजसी शक्तियों की इच्छा पूर्ति के लिए किया जाता है |
व्याघ्र चर्म पर सांप बिच्छु का खतरा न के बराबर रहता है |
व्याघ्र चर्म ,व्याघ्र या बाघ बहुत ही सीमित संख्या में ही बचे है ,मेरा मकसद आपको जानकारी देना है आपको गलत कामो के प्रति प्रेरित करना नहीं
कम्बल के आसन का उपयोग
कामना पूर्ति के लिए लाल रंग या अनेक रंगों वाले आसन का उपयोग लाभदायक है|
काष्ठासन का प्रयोग
शैतानी या राक्षशी ताकत पाने के लिए लकड़ी का आसन प्रयोग किया जाता है |
कौन से आसन पर उपासना या साधना नहीं करनी चाहिए
बांस के आसान पर साधना नहीं करनी चाहिए |
जिस लकड़ी में छेद को उसका उपयोग नहीं करना चाहिए |
पत्थर का आसन उपयोग नहीं करना चाहिए |
तिनको व पत्तो से बना आसन उपयोग नहीं करना चाहिए |
कुर्सी तथा साधारण कपडे का आसन भी गलत हैं |
साधना या पूजा में उपयोग होने वाली माला के प्रकार
सबसे श्रेष्ठ माला वर्णमाला है; जिसे शिव्सार (अनुस्वार) से संयुक्त करके शक्ति बीजों की उत्पत्ति होती है।इसके बाद महा शंख और इसके बाद स्फटिक की माला श्रेष्ठ समझी जाती है। रुद्राक्ष की माला सभी कर्मों में प्रशस्त है।
मूंगा, हीरा, मणि की माला पुष्टि (चिकित्सा) एवं वशीकरण में उपयुक्त मानी जाती है। विद्वेषण- उच्चाटन में स्फटिक एवं घोड़े के दांतों की माला श्रेष्ठ मानी जाती है।
धर्म-कर्म –मोक्ष और कल्याण के विषय में शंख की माला श्रेष्ठ होती है। कामनाओं की पूर्ती में कमल बीज कि माला प्रशस्त होती है।
स्फटिक , मोती, मूंगा, माणिक्य, रुद्राक्ष, पुत्र जीव की माला विद्या की प्राप्ति के लिए श्रेष्ठ है।
हल्दी की माला धन एवं कामनापूर्ति और आरोग्यता के लिए श्रेष्ठ है। सफेद मदार एवं काले धतूरे की जड़ की माला जादू-टोन अभिचार कर्मों से रक्षा करती है।
काले-सफ़ेद पत्थर की मला केतु प्रधान व्यक्तियों के लिए लाभ कारी होती है। हल्दी की मला भाग्य दोष का हरण करती है।
रुद्राक्ष जिसे भगवान शिव का अंश माना जाता है। इससे शिव का जाप कर आससानी से मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती है। अगर आप शिव भगवान को प्रसन्न करना चाहते है तो रुद्राक्ष की माला से शिव के मंत्रों का जाप करे।
मां अम्बा की उपासना करने के लिए स्फटिक की माला से जप करना शुभ माना जाता है।
मां दुर्गा की उपासना लाल रंग के चंदन की माला, जिसे रक्त चंदन माला कहा जाता है, से करना चाहिए।
काली का आह्वान करने के लिए काली हल्दी या नील कमल की माला का प्रयोग करना है।
सूर्य के दोष और उन्हें प्रसन्न करने के लिए माणिक्य, गारनेट, बिल की लकड़ी की माला का उपयोग शुभ माना गया है।
मंगल ग्रह की शांति के लिए मंगल ग्रह के मंत्र के साथ मूंगे और लाल चंदन की माला से जाप करना चाहिए और वही बुध ग्रह के लिए पन्ने की बनी हुई की माला से जाप करना चाहिए।
बृहस्पति देव को प्रसन्न करने के लिए हल्दी या जीया पोताज और शुक्र के लिए स्फटिक की माला से जाप करें।
अगर आप बगलामुखी की साधना कर रहे हैं तो आपको पीली हल्दी या जीयापोता की माला का इस्तेमाल करना चाहिए।
लक्ष्मीमंत्र का जाप हमेशा कमलट्टे की माला से करना चाहिए। वहीं तुलसी और चंदन की माला से विष्णु भगवान के मंत्र का जाप करना चाहिए।
चंद्रमा की शांति के लिए आप जिस मंत्र का जाप कर रहे है उस मंत्र का जाप मोती की माला से करना चाहिए।
राहु के लिए गोमेद, चंदन और कच्चे कोयले की माला उपयोगी है, वहीं केतु के लिए लहसुनिया की माला शुभ माना जाता है।
अगर आप माता लक्ष्मी की उपासना धन प्राप्त करने के लिए उनकी लाल रंग के रेशमी धागे वाली 30 मनकों की माला से जाप करें,परंतु अगर आप अपनी कोई मनोकामना पूरी होते देखना चाहते हैं तो आपके लिए 27 रुद्राक्षों की माला उपयोगी है। मोक्ष प्राप्ति या शांति के लिए किए जा रहे मंत्र जाप के लिए 108 रुद्राक्ष को सफेद धागें से पिरोंकर जाप करें। मनोकामना पूर्ण होगी।
माला का शुद्ध होना आवश्यक है माला के दाने टूटे हुए नहीं होने चाहिए नहीं होने | माला जपते समय एक फेरा पूरा हो जाने तक सुमेरु तक पहुँच कर वंही से दोबारा शुरू कर देना चाहिए | सुमेरु को लांघना नहीं चाहिए |
why is asan required?
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